
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का गुट शुक्रवार को केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेगा। असम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया पर कहा, समझौते पर हस्ताक्षर शुक्रवार शाम पांच बजे गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किए जाएंगे। संगठन के महासचिव अनुप चेतिया ने कहा, शांति समझौते के लिए उल्फा के वार्ता समर्थक गुट का 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को दिल्ली पहुंच चुका है।
प्रतिनिधिमंडल में 16 उल्फा सदस्य और 14 लोग नागरिक समाज से शामिल हैं। इसके पहले केंद्र ने अप्रैल में वार्ता समर्थक गुट को प्रस्तावित समझौते का मसौदा भेजा था, जबकि अगस्त में नई दिल्ली में गुट के साथ चर्चा का एक और दौर आयोजित किया गया था।
अलगाववादी संगठन उल्फा का गठन अप्रैल 1979 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से आए बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के खिलाफ आंदोलन के बाद हुआ था। फरवरी 2011 में यह दो समूहों में विभाजित हो गया था और अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट ने हिंसा छोड़ दी थी। यह गुट बिना शर्त सरकार के साथ बातचीत के लिए सहमत है। दूसरे उल्फा गुट का नेतृत्व करने वाले परेश बरुआ बातचीत के खिलाफ हैं। वार्ता समर्थक गुट ने असम के मूल निवासियों की भूमि के अधिकार समेत उनकी पहचान और संसाधनों की सुरक्षा के लिए सुधारों की मांग की है।