
एक सरकारी चिट्ठी की भाषा से आक्रोशित अधिवक्ताओं ने बुधवार को पश्चिमी यूपी के सभी जिलों में हड़ताल का एलान किया है। वहीं यूपी बार कौंसिल ने भी 20 तारीख को प्रदेश भर के वकीलों से न्यायिक कार्य से विरत रहने का संकेत दिया है।
मंगलवार को हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति की दोपहर 3 बजे मेरठ बार एसोसिएशन के नेताजी सुभाष चंद्र बोस सभागार में हुई। केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन गजेंद्र पाल सिंह और संयोजक अजय कुमार शर्मा ने कहा कि शासन के पत्र में अधिवक्ताओं के संबंध में अशोभनीय टिप्पणी की गई है। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों एवं तहसीलों के अधिवक्ताओं में रोष है। इस चिट्ठी के विरोध में बुधवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के अधिवक्तागण न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। बैठक में पूर्व एडवोकेट नरेंद्र पाल सिंह, रोहिताश कुमार अग्रवाल, डॉ. ओपी शर्मा, गजेन्द्र सिंह धामा, डीडी शर्मा, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम सिंह तोमर और महामंत्री प्रवीण कुमार सुधार सहित काफी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे। वहीं ऑल इंडियिा लायर्स यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह और सचिव ब्रजवीर सिंह ने भी सरकार से इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
यह है चिट्ठी का मजमून
शासन में विशेष सचिव प्रफुल्ल कमल ने 14 मई को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र भेजा था। इस पत्र में लिखा गया कि, जनपद न्यायालयों में अधिवक्तागण की ओर से किए जाने वाले अराजकतापूर्ण कृत्यों का तत्काल संज्ञान लिया जाना सुनिश्चित करते हुए संबंधित के खिलाफ कार्रवाई कर सूचना दें।
आज बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला
केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन गजेंद्र पाल सिंह अध्यक्ष का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश अधिवक्ताओं और न्यायिक प्रणाली की गरिमा को धूमल करने का प्रयास है। प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देश के विरुद्ध सख्त निर्णय के लिए बुधवार को अधिवक्ताओं की बैठक भी बुलाई गई है।
यूपी बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन और वर्तमान सदस्य रोहिताश्व कुमार अग्रवाल ने प्रदेश सरकार के निर्देश को न्यायपालिका पर कुठाराघात बताते हुए कहा कि इससे अधिवक्ताओं की गरिमा को ठेस पहुंची है। अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस निर्देश के विपरीत यूपी बार काउंसिल भी शीघ्र कदम उठाएगी।
सरकार माफी के साथ वापस ले चिट्ठी
मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी नरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि एक तरफ उच्चतम न्यायालय अधिवक्ताओं को कोर्ट ऑफिसर का दर्जा देता है वहीं प्रदेश सरकार अपमानजनक निर्देश जारी कर रही है। यह बेहद शर्मनाक है। सरकार माफी के साथ निर्देश तुरंत वापस ले।