
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू का एक मुक्का उन पर भारी पड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के 34 साल पुराने रोडरेज मामले में सिद्धू को एक साल कैद की सजा सुनाई है। सिद्धू आज पटियाला जिला अदालत में सरेंडर करेंगे। साल 2018 में शीर्ष अदालत ने सिद्धू को महज एक हजार रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ पीड़ित परिवार ने सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली थी।
शीर्ष अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा, कुछ सार्थक तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए पहले सिर्फ जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था। यदि एक बॉक्सर, क्रिकेटर या तंदुरुस्त व्यक्ति अपने हाथ का एक झटके में इस्तेमाल करे तो वह किसी हथियार के तौर पर काम कर सकता है। ऐसे में सिर्फ जुर्माना लगाना ठीक नहीं है। अदालत ने कहा, सहानुभूति दिखाते हुए कम सजा दी तो यह न्यायतंत्र को नुकसान पहुंचाएगा और कानून पर से लोगों का विश्वास कमजोर होगा। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने कहा भले ही किसी परिस्थितियों में आपा खो गया हो, उसका खामियाजा तो भुगतना होगा। इस फैसले के बाद सिद्धू ने कहा- वे कानून के फैसले का सम्मान करेंगे।
आज पटियाला जिला अदालत में करेंगे सरेंडर
सूत्रों ने बताया कि नवजोत सिद्धू करीब 10 बजे पटियाला की जिला अदालत में सरेंडर करेंगे। उसके बाद उन्हें पटियाला जेल भेजा जाएगा।
सिद्धू की सुरक्षा वापस
सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद सिद्धू को पंजाब सरकार से मिली 45 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा वापस लेने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। पता चला है कि अपनी लीगल टीम से चर्चा के बाद सिद्धू सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करेंगे। उसके बाद ही सरेंडर करने के बारे में फैसला लिया जाएगा।
फैसले के वक्त हाथी पर सवार थे सिद्धू
नई दिल्ली में सुप्रीमकोर्ट जब सिद्धू को सजा सुना रही थी तो उस दौरान सिद्धू हाथी में सवार होकर पटियाला में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
एक ही जेल में मजीठिया और सिद्धू
नवजोत सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि उन्हें अपने पैतृक जिले पटियाला की सबसे सुरक्षित जेल में रखा जाएगा। लेकिन खास बात यह है कि इसी जेल में उनके धुर्रविरोधी अकाली नेता बिक्र्तम मजीठिया भी ड्रग्स केस में बंद हैं। इन दोनों सियासी नेताओं के बीच मनमुटाव और तीखी बयानबाजी किसी से छिपी नहीं है। अगर सिद्धू को पटियाला जेल भेजा जाता है तो संभव है कि वहां उनका सामना मजीठिया से हो। तब क्या होगा, इस पर जेल प्रशासन को कड़ी नजर रखनी पड़ेगी।
क्या था मामला
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे। मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
इस केस में कब-कब क्या हुआ
- 27 दिसंबर 1988 की शाम को पटियाला के कोतवाली थाने में सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज
- 1999 में सिद्धू को राहत देते हुए सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया था
- 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की
- 1 दिसंबर 2006 में हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल की कैद की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया
- 11 जनवरी 2007 में सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया और उन्हें जेल भेज दिया गया
- 12 जनवरी 2007 को सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट की सजा पर रोक लगाई। सिद्धू और उनके दोस्त को जमानत मिली। उधर शिकायतकर्ता ने सुप्रीमकोर्ट शरण ली
- 15 मई 2018 को सुप्रीमकोर्ट ने सिद्धू को गैरइरादतन हत्या के आरोप से बरी किया, लेकिन गुरनाम सिंह को चोट पहुंचाने के लिए एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया। संधू बरी
- 12 सितंबर 2018 को सुप्रीमकोर्ट पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ
फैसले का सम्मान करूंगा: सिद्धू
सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कहा, कानून के फैसले का सम्मान करूंगा। वह पटियाला में महंगाई के खिलाफ एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे। पटियाला से पांच किलोमीटर दूर घलोरी गांव में 1988 के पीड़ित गुरनाम सिंह के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। गुरनाम की बहू परवीन कौर ने इस फैसले को रब की मर्जी बताते हुए कहा हम इससे संतुष्ट हैं।