
मारीपोल व खार्कीव जैसे शहरों में भारी तबाही मचाने के बाद रूस ने यूक्रेनी सैनिकों को घेरने के लिए पूर्वी क्षेत्र में चौतरफा हमला शुरू कर दिया है। सिवेर्स्की डोनेट्स नदी के किनारों पर बसे जुड़वा शहर सिविरोडोनेस्क व लिसिचंक उसके प्रमुख निशाने हैं। यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया कि मारीपोल में मलबे की खोदाई के दौरान करीब 200 लोगों के शव बरामद हुए हैं। यूक्रेनी सैनिकों ने मोल्दोव में रूस समर्थक नेताओं के घरों की तलाशी ली है। यूक्रेन पर रूसी हमले के ठीक तीन महीने बाद देश के दूसरे बड़े शहर खार्कीव के अधिकारियों ने भूमिगत मेट्रो के फिर से संचालन की तैयारी शुरू कर दी है।
युद्ध के दौरान शहर के मेट्रो स्टेशनों पर हजारों लोगों ने आश्रय ले रखा था। मेट्रो स्टेशन का फिर खोला जाना पिछले हफ्तों के दौरान यूक्रेनी सेना को मिली जीत का संकेत है। यूक्रेनी सैनिक राजधानी कीव की तरह ही खार्कीव से भी रूसी सैनिकों को पीछे धकेलने में सफल रहे हैं। हालांकि, युद्ध का सबसे बड़ा चौथा चरण दक्षिण की ओर बढ़ रहा है। रूस आक्रामक रणनीति के तहत यूक्रेनी सैनिकों को पूर्वी क्षेत्र में फंसाकर डोनबास क्षेत्र के दो प्रांतों डोनेस्क व लुहांस्क पर कब्जा करना चाहता है। लुहांस्क प्रांत के गर्वनर सेरही गदाई ने कहा, ‘रूस सिविरोडोनेस्क व लिसिचंक शहरों पर कब्जा करना चाहता है। उस क्षेत्र में यूक्रेन के नियंत्रण वाले ये दोनों आखिरी शहर हैं।’
जेलेंस्की ने रूस पर लगाया युद्ध नियमों के उल्लंघन का आरोप
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस पर युद्ध नियमों को दरकिनार करते हुए ‘टोटल वार’ छेड़ने का आरोप लगाया है। जेलेंस्की ने आरोप लगाया कि पिछले तीन महीनों के युद्ध के दौरान रूस ने मौतों और बर्बादी की तनिक भी परवाह नहीं की।
रूस के रक्षा मंत्री सेर्गेई शोइगू ने मंगलवार को कहा कि उनके देश ने यूक्रेन पर जानबूझकर हमले कम कर दिए हैं, ताकि यूक्रेनी शहरों से उसके नागरिक सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें। एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा कि रूस इस युद्ध को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है।
यूक्रेन की जीत के लिए कुछ भी करेंगे : यूरोपीय आयोग
दावोस में विश्व आर्थिक मंच- 2022 को संबोधित करते हुए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन ने कहा कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन की जीत सुनिश्चित करने के लिए यूरोप कुछ भी करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ यूक्रेन के अस्तित्व का मामला नहीं है। न ही यूरोप से जुड़ा है। बल्कि, यह पूरे वैश्विक समुदाय से जुड़ा मसला है।’