तीर्थनगरी सोरोंजी में हरि की पौड़ी में सैकड़ों मछलियों की मौत,

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कासगंज के सोरोंजी में मंगलवार की शाम हरि की पौड़ी में मछलियों की मौत के मामले को लेकर तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश फैल गया। आक्रोशित तीर्थ पुरोहित देर शाम कलक्ट्रेट पहुंचे। कलक्ट्रेट में अपर जिलाधिकारी अजय कुमार श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपकर पानी को निर्मल और स्वच्छ बनाने की मांग की। अपर जिलाधिकारी ने एसडीएम व तहसीलदार को मौके पर भेजा। तीर्थ पुरोहितों का कहना था कि हरि की पौड़ी में शुद्धजल की व्यवस्था कायम की जाए। 

इस समस्या के समाधान के लिए डीएम हर्षिता माथुर ने जल निगम को हरि की पौड़ी के जल की जांच के निर्देश दिए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि गोरहा नहर के माध्यम से हरि की पौड़ी में गंगा का पानी आता है, लेकिन खुला ड्रेन होने के कारण यह पानी हरि की पौड़ी में गिरने से पहले ही प्रदूषित हो जाता है। 

श्रद्धालुओं की भावनाएं हो रहीं आहत 

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि काफी समय से स्वच्छ जल की हरि की पौड़ी में आपूर्ति की मांग उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन कोई व्यवस्था नहीं बना रहा। हरि की पौड़ी के प्रदूषित जल को देखकर श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत हो रही हैं। इस दौरान ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष शरद पांडेय, कैलाश मिश्र, शिव वैंदेल, राज वैभव महेरे, दीपक पाराशर, गोलू चौबे, राधाकृष्ण आदि मौजूद रहे।

मत्स्य पालन विभाग की टीम भी जांच को पहुंची, लिए नमूने

कासगंज के एडीएम अजय कुमार श्रीवास्तव के निर्देश पर मत्स्य पालन की टीम भी हरि की पौड़ी पर पहुंची। उन्होंने मछलियों की मौत की वजह जानने के लिए नमूने भी लिए। मत्स्य पालन की टीम नमूनों की जांच कराएगी।

पालिकाध्यक्ष का पुतला फूंका

मछलियों की मौत से आक्रोशित तीर्थपुरोहितों ने तीर्थनगरी में नगरपालिका अध्यक्ष का पुतला फूंककर आक्रोश व्यक्त किया। उसका आरोप था कि पालिका की अनदेखी से हरि की पौड़ी का जल प्रदूषित हुआ है। समय से पालिका न सफाई कराती है और न ही देखरेख करती है। पूर्व में कई बार मछलियां दम तोड़ चुकी हैं, लेकिन पालिका ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। आक्रोशित तीर्थपुरोहितों ने नारेबाजी भी की।

असामाजिक की तत्वों की करतूत तो नहीं 

कुछ लोगों के द्वारा आशंका जताई जा रही है कि कुछ असामाजिक तत्व रात्रि में अंधेरे का फायदा उठाते हुए जल में कुछ ऐसा पदार्थ डाल देते हैं, जिससे मछलियों की मौत हो जाती है और बड़ी मछलियों को उठा ले जाते हैं। क्योंकि मछलियों की मरने की घटना अधिकतर रात में होती है और सुबह होने पर लोगों को इसकी जानकारी होती है।

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