
साइबर ठगी के शिकार लोगों को अब हरियाणा में त्वरित और अधिक जवाबदेह सेवाएं मिल सकेंगी। साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को डायल 112 से जोड़ दिया गया है। सोमवार से राज्यभर से 1930 से संबंधित कॉल डायल 112 पर ही गईं। नोडल अधिकारी एडीजीपी एएस चावला ने बताया कि हरियाणा-112 प्रणाली में 1930 सेवा से संबंधित मानक संचालन प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक शामिल किया गया है।
डायल 112 की टीम के साथ-साथ साइबर विशेषज्ञ बैठेंगे और ठगी के शिकार लोगों की मदद करेंगे। शिफ्ट वाइज पांच-पांच विशेषज्ञ टीम के साथ मौजूद रहेंगे। पीड़ितों को आपातकालीन सेवाएं मिलेंगी। जैसे ही किसी ठगी का शिकार व्यक्ति कॉल करेगा तो तुरंत साइबर विशेषज्ञ उससे पूरी जानकारी लेकर उसके अकाउंट को ब्लॉक कराएंगे ताकि ट्रांजेक्शन न हो सके। जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टल को देख रहे विशेषज्ञों से भी मदद ली जाएगी।
10 माह की अवधि में 46 लाख लोगों की मदद
12 जुलाई 2021 को नागरिकों को समर्पित की गई इस महत्वाकांक्षी परियोजना के माध्यम से लगभग 10 माह की अवधि में 46 लाख नागरिकों की मदद की जा चुकी है। वर्तमान में यह परियोजना गुरुग्राम और फरीदाबाद जिलों में 101 और 108 की अतिरिक्त सेवाओं के साथ समस्त राज्य में 100, 112, 1073, 1091 और 1930 की एकीकृत आपातकालीन सेवाएं प्रदान करती है।
मूकबधिरों के लिए वीडियो कॉल या मैसेज की भी सुविधा
एएस चावला ने कहा कि हरियाणा 112 का मकसद आदर्श समाज के सभी वर्गों की आपातकालीन जरूरतों को पूरा करना है। इस संबंध में राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र (एसईआरसी) में मूकबधिर लोगों के लिए वीडियो कॉल और मैसेजिंग एप सुविधा से लैस एक विशेष सेल की स्थापना की गई है। एसईआरसी में 24 घंटे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ तैनात किए हैं।
गुरुग्राम में बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, साइबर थाने जल्द होंगे स्थापित
हरियाणा सरकार साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए जल्द ही विशेषज्ञों की तैनाती करेगी। साइबर अपराध रोकने के लिए गुरुग्राम में जल्दी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा, इसमें अत्याधुनिक तकनीक और प्रौद्योगिकी होगी। जिन जिलों में अभी साइबर थाने स्थापित नहीं हुए हैं, वहां प्रक्रिया सिरे चढ़ाने में तेजी लाई जाएगी।
विशेषज्ञ तैनात करने और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की पुलिस विभाग की योजना को हरियाणा सरकार ने मंजूरी दे दी है। पुलिस मुख्यालय स्तर पर योजना को सिरे चढ़ाने का काम शुरू हो चुका है। ऐसे विशेषज्ञों की तैनाती होगी, जो साइबर अपराधियों से दो कदम आगे की सोचें। तकनीक के जरिये अपराधियों को ट्रैक किया जाएगा।
पुलिस की राज्य अपराध शाखा साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए 274 पुलिस कर्मियों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इनमें उत्तरी क्षेत्र के पंचकूला, अंबाला, करनाल और हिसार रेंज के पुलिस थानों में 137 साइबर डेस्क पर तैनात कर्मी शामिल हैं। प्रदेश में 2021 में साइबर अपराध के 500 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में इनका आंकड़ा और बढ़ने की संभावना पुलिस विभाग ने जताई है।
उत्तर क्षेत्र के जिलों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण एडीजीपी ओपी सिंह और आईपीएस हामिद अख्तर ने दिया है। साइबर डेस्क के लिए नामित सभी पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के जिलों को दो जोन उत्तर और दक्षिण क्षेत्र में बांटा गया है। कर्मियों को साइबर फॉरेंसिक के इनपुट और अपराध विश्लेषण के लिए आवश्यक उन्नत साइबर अपराध मॉड्यूल के साथ प्रशिक्षित किया गया है। वे साइबर अपराधों के प्रकार, साइबर कानून, साइबर अपराध जांच तकनीक, ओपन सोर्स इंटेलिजेंस और साइबर फॉरेंसिक इत्यादि मुख्य बातों पर ध्यान देते हुए काम करेंगे।