
एक्सिस बैंक की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के चार बदमाशों को उत्तरी जिला साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान उत्तम नगर निवासी अंकित गुजराल (26), हिमांशु उर्फ बाबू (28) उन्नाव निवासी आशीष (23) और रामपुर निवासी फैजान उर्फ फैजल (26) के रूप में हुई है। आरोपी एप के जरिए बैंक के ही कस्टमर केयर नंबर से कॉल करते थे।
क्रेडिट कार्ड के रिवार्ड प्वाइंट मिलने, लिमिट बढ़वाने का झांसा देकर ठगी करते थे। आरोपियों के पास से 1.50 लाख कैश, 22 मोबाइल फोन, 103 सिमकार्ड बरामद करने के अलावा 53 बैंक खाते और 10 यूपीआई लिंक का पता लगाया है। फिलहाल सैकड़ों लोगों से 50 लाख की ठगी की बात सामने आई है। ठगी की रकम करोड़ों पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस को मामले में वेबसाइट बनाने वाले आरोपी दीपक की तलाश है।
पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी ने बताया कि गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल पर दिल्ली निवासी सुभाष ने ठगी की शिकायत दी थी। शिकायत में उसने बताया कि एक्सिस बैंक का प्रतिनिधि बनकर एक शख्स ने कॉल किया था। फोन पर बैंक के कस्टमर केयर का नंबर दिख रहा था। कॉलर ने क्रेडिट कार्ड पर जारी सर्विस को बंद कराने के लिए रजिस्टर्ड नंबर पर भेजे गए लिंक में कार्ड की जानकारी देने को कहा था। ऐसा करते ही सुभाष के खाते से 37420 रुपये कट गए थे।
साइबर थाना पुलिस ने 11 जून को मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। जांच में पश्चिम दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से ठगी करने की बात सामने आई। पुलिस ने दबिश देकर उत्तम नगर से आशीष को गिरफ्तार कर लिया। उसकी निशानदेही पर कई मोबाइल और सिमकार्ड बरामद हुए। इसके बाद पुलिस ने गुरुग्राम से अंकित को दबोचा। अंकित ठगी की रकम को खातों में मंगाकर पैसे हिमांशु को देता था। पुलिस ने हिमांशु को भी उत्तम नगर से गिरफ्तार किया। तीनों की गिरफ्तारी के बाद रामपुर से फैजान को दबोच लिया गया।
ऐसे की जाती थी ठगी
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने दीपक से एक्सिस बैंक की एक फर्जी वेबसाइट बनवाई थी। आरोपियों ने गूगल प्ले स्टोर से ‘इंडी-कॉल’ नामक एक एप डाउनलोड किया था। इस एप की मदद से आरोपी बैंक के कस्टमर केयर नंबर डालकर कॉल करते थे। पीड़ित के फोन पर बैंक के कस्टमर केयर का नंबर दिखता था। आरोपी क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाने, क्रेडिट कार्ड के बोनस प्वाइंट देने के बहाने पीड़ितों के कार्ड की डिटेल लेकर उनके खातों से रकम निकाल लेते थे। आरोपी लोगों को अपनी फर्जी वेबसाइट का लिंक भेजते थे। इससे उन्हें कॉल के बैंक से आने का भरोसा हो जाता था।