उत्तराखंड न्यूज़ | ऊर्जा क्षेत्र में नया अध्याय:तपोवन में भू-तापीय ऊर्जा की खोज करेगा यूजेवीएनएल, बोर्ड ने दी मंजूरी

देहरादून। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL) अब राज्य में ऊर्जा के नए स्रोतों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। निगम के निदेशक मंडल ने सीमांत जनपद चमोली के तपोवन क्षेत्र में भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) की संभावनाओं की खोज के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।

यह परियोजना उत्तराखंड में हरित ऊर्जा (Green Energy) को बढ़ावा देने और सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।

🔹 भू-तापीय ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम

तपोवन क्षेत्र लंबे समय से हिमालयी भू-तापीय स्रोतों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। वर्ष 2010 और 2015 में यहां प्रारंभिक अध्ययन किए गए थे, लेकिन तकनीकी व वित्तीय अड़चनों के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी थी।
अब राज्य सरकार और केंद्र के सहयोग से विशेषज्ञ टीम विस्तृत सर्वेक्षण, तापमान मानचित्रण, भूगर्भीय परीक्षण और तकनीकी मूल्यांकन का कार्य करेगी।

सरकार का उद्देश्य है कि इस परियोजना से न केवल स्थानीय क्षेत्रों की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी हों, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन में भी वृद्धि हो। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तपोवन में भू-तापीय ऊर्जा का सफल दोहन होता है, तो यह उत्तराखंड को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

🔹 निगम बोर्ड की अन्य प्रमुख स्वीकृतियां

यूजेवीएनएल की बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए—

  • धरासू विद्युत गृह (76 मेगावाट) की टरबाइन से जुड़े कार्यों एवं अतिरिक्त उपकरणों की खरीद को स्वीकृति।
  • त्यूणी–प्लासू जल विद्युत परियोजना (72 मेगावाट) के सिविल, हाइड्रो–मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रो–मैकेनिकल कार्यों की संशोधित लागत को मंजूरी।
  • वित्तीय वर्ष 2024 के वार्षिक लेखों की स्वीकृति और राज्य सरकार की अंश–पूंजी पर ₹11.04 करोड़ का लाभांश प्रदान करने का निर्णय।
  • निगम कर्मियों को वित्तीय वर्ष 2023–24 और 2024–25 के लिए कार्य निष्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।

🔹 बैठक में रहे वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित

बैठक की अध्यक्षता मुख्य सचिव एवं यूजेवीएनएल के अध्यक्ष आनंद वर्धन ने की। इस दौरान प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, इंदु कुमार पांडेय, बी.पी. पांडेय, पराग गुप्ता, और प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

इस निर्णय के साथ उत्तराखंड एक बार फिर यह साबित करने जा रहा है कि पहाड़ी राज्य केवल जल विद्युत में ही नहीं, बल्कि भू-तापीय और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी देश को नई दिशा देने की क्षमता रखता है।

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