स्वच्छ भारत मिशन :प्रयागराज में स्वच्छ भारत मिशन का बंटाधार, अफसरों ने सफाईकर्मियों को बना डाला घर का नौकर

स्वच्छ भारत मिशन का बेड़ा किस तरह गर्क किया जा रहा है, यह देखना हो तो प्रयागराज के गांवों में चलिए। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत- स्वस्थ भारत का नारा दम तोड़ चुका है। जिले के 59 गांवों ऐसे जहां की गलियां गंदगी से पटी हैं। वहां नियुक्त किए गए सफाई कर्मियों को पिछले एक वर्ष से देखा ही नहीं गया है। ऐसा भी नहीं कि वह लापता हैं, या सफाई का काम नहीं करना चाहते। पता चला है कि ऐसे स्वच्छता प्रहरियों को गांवों की गलियों से हटाकर अफसरों के बंगले और दफ्तरों से संबद्ध कर दिया गया है। ऐसे में गांव के सफाई कर्मी दफ्तरों में चाय-समोसा पहुंचाने से लेकर बंगलों पर खाना बनाने, बागवानी सींचने या फिर गाड़ियां चलाने का काम कर रहे हैं।

जिले के 23 विकास खंडों की कई ग्राम पंचायतों में स्वच्छता मिशन का बुरा हाल है। गांवों की गलियों में कहीं नालियां बह रही हैं, तो कहीं गंदगी के ढेर लगे हैं। यह हाल तब है जब कोरोना महामारी का संकट एक बार फिर गहराता जा रहा है। ऐसे में इन गांवों में संक्रमण के खतरे से भी इंकार नहीं किया जा सकता। 

जिला पंचायत राज अधिकारी की ओर जारी आदेश के तहत इन सफाई कर्मियों को पिछले एक वर्ष से इन गांवों से हटाकर जिले स्तर के अफसरों के कार्यालयों से संबद्ध कर दिया गया है। संबद्धता पर नजर डालें तो सबसे अधिक 20 सफाई कर्मी पंचायती राज कार्यालय से संबद्ध किए गए हैं। इसके बाद 17 ऐसे सफाई कर्मी हैं, जिन्हें विकास भवन में स्थित स्वच्छ भारत मिशन के वार रूम से अटैच किया गया है। 

इनके अलावा आठ सफाई कर्मी सीडीओ के दफ्तर से संबद्ध किए गए हैं। इसी तरह जिला विकास अधिकारी कार्यालय से छह, डीआरडीए से तीन, मनरेगा से दो और डीएसटीओ, पंचस्थानी चुनाव व डीसीएनआरएलएम कार्यालय से एक-एक सफाई कर्मी संबद्ध हैं। इन कार्यालयों में सफाई कर्मियों से कहीं फाइलें उठाने तो कहीं चाय-समोसा मंगाने का काम लिया जा रहा है। पता चला है कि इसके अलावा कई सफाई कर्मी अफसरों के बंगले पर बेगार करने के लिए भी लगाए गए हैं। खाना बनाने से लेकर बागवानी की गुड़ाई-निराई के काम में भी सफाई कर्मी लगाए गए हैं।

संबद्धता का आदेश निरस्त करने के आदेश को दिखाया ठेंगा
प्रयागराज। ऐसा भी नहीं कि इन सफाई कर्मियों की संबद्धता के बारे में आला अफसरों को पता नहीं है। इस मामले को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं। दो वर्ष पहले छह अक्तूबर 2020 को हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में पारित आदेश के क्रम में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव ने ग्राम पंचायतों से हटाकर विभिन्न कार्यालयों में लगाए गए सफाई कर्मियों की संबद्धता खत्म करने का आदेश दिया था। तब डीपीआरओ रहीं रेनू श्रीवास्तव ने संबद्धता समाप्त कर दी थी। लेकिन फिर इनके बाद जिला पंचायत राज अधिकारी बने आलोक सिन्हा ने फिर इन सफाई कर्मियों को मनचाहा कार्यालयों से संबद्ध कर दिया।

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