
उतर चढ़ाव तो जिंदगी में आते रहते हैं, जिसमें कुछ बिखर जाते हैं और कुछ निखर जाते हैं। मेरा पुत्त भी उन्हां चो इक्क है। यह कहना है कि मनप्रीत की मां मंजीत कौर का। उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक के बाद बेटे की कप्तानी चली गई तो हॉकी में भारत का प्रदर्शन गिरता चला गया। देश ने एक बार फिर मनप्रीत को कमान दी और बेटे ने फिर से गर्व महसूस करवाया और कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को आठ साल बाद पदक दिलवाया।
मनप्रीत की मां मंजीत कौर बताती हैं कि कुछ माह पहले वह हार मान बैठा था। इसके बाद वह रब के आगे एक ही अरदास थीं कि बेटा बुलंदियां छुए, आज हर देशवासी की जुबां पर बेटे का नाम है। वह भी कॉमनवेल्थ गेम्स में बेटे का खेल देखने जाने वाली थीं, वीजा लग चुका था लेकिन कुछ घरेलू कारणों से नहीं जा सकीं।
बेटे को जब-जब जिम्मेदारी मिली, उसने निभाई और टीम को लीड करते हुए प्रदर्शन को सुधारा। कुछ अनछुए पहलू बताते हुए मां मंजीत कौर ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक दिलाने के बाद कुछ समय के लिए मनप्रीत से कप्तानी वापस ले ली गई। इसके बाद वह थोड़ा परेशान रहने लगा और हार मान बैठा था कि आगे मौके मिलेंगे या नहीं।
मैच के बाद फोन पर मनप्रीत से बात हुई तो उसने कहा मां ये जीत आपकी और आपके विश्वास की है। मैं जल्द आ रहा हूं और चाहता हूं कि अगली बार किसी बड़े आयोजन में आप दर्शक दीर्घा से टीम की हौसलाअफजाई करती नजर आएं। मनप्रीत की मां मंजीत ने कहा कि फाइनल में भले ही टीम का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा लेकिन सेमीफाइनल तक अपराजेय रही और इसका श्रेय भी बेटे को जाता है, क्योंकि जब मनप्रीत कप्तान नहीं था तो टीम का प्रदर्शन खराब हो गया था।