
हरियाणा के जींद में रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने 550 इलेक्ट्रिक बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत चलाए जाने को लेकर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। डिपो प्रधान बिजेंद्र सांगवान व अन्य सदस्यों ने कहा कि सरकार दोबारा से किलोमीटर स्कीम को बढ़ावा दे रही है और 1.25 करोड़ रुपए की एक एक बस इस स्कीम के अनुसार शामिल कर रही है, जबकि हरियाणा रोडवेज की बस को आम आदमी का रथ कहा जाता है और आम आदमी की हमेशा ही बसों की जरूरत महसूस करता हे।
अभी हाल ही में आंध्र प्रदेश व मुंबई में किलोमीटर स्कीम के तहत चलाई गई इलेक्ट्रिक बसें घाटे का सोदा साबित हुई हैं। सरकार का उद्देश्य हरियाणा रोडवेज में 10 हजार सरकारी बसें शामिल करके जनता को बेहतर परिवहन सेवा व बेहतर स्थायी रोजगार देने की बजाय पूंजिपतियों को लाभ पहुंचाना है। सरकार हरियाणा रोडवेज विभाग के निजीकरण के अलग-अलग तरीके अपना कर विभाग को पूंजिपतियों के हवाले कर रही है।
पहले ही स्टेज कैरिज स्कीम के तहत एक हजार बसों से ज्यादा व किलोमीटर स्कीम के तहत 700 से ज्यादा बसें चल रही हैं। एक बार फिर सरकार हठधर्मिता अपना कर स्टेज कैरिज स्कीम 2017 को संशोधित कर 952 रूट परमिट देने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा 550 इलेक्ट्रिक ऐसी बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत चलाने का निर्णय किया है।
अनूप लाठर ने कहा कि सरकार जनता की मांग को ध्यान में न रखते हुए लगातार जनता और विभाग विरोधी फैसले ले रही है। प्रदेश की जनता हमेशा ही रोडवेज बेड़े में सरकारी बसों की मांग करती आ रही है। किलोमीटर स्कीम के तहत रोडवेज में पहले भी बसें संचालित हैं, जिन बारे हर रोज जनता की शिकायतें विभिन्न माध्यम से प्राप्त हो रही हैं। इनके चालक पूरी तरह प्रशिक्षित न होने के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसका शिकार प्रदेश की जनता हो रही है।