
केंद्र और राज्यों के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) ने कथित रूप से हाई कोर्ट के जजों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, अहमदिया मुसलमानों और तमिलनाडु आने वाले विदेशियों खासकर यहूदियों को निशाना बनाने की साजिश रची थी। उन्होंने बताया कि छापों के दौरान मिले दस्तावेज में पीएफआई के 2047 तक के रोडमैप के बारे में भी पता चलता है।
बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था पीएफआई
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की जांच के मुताबिक, दक्षिणी राज्यों से 15 युवाओं और उनके सहयोगियों के एक माड्यूल ने उक्त लोगों को निशाना बनाने की साजिश रची थी। इसमें ज्यादातर पीएफआई के सदस्य या ऐसे लोग हैं जो आइएस से प्रभावित हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस माड्यूल ने महत्वपूर्ण व्यक्तियों और सार्वजनिक महत्व के स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक और अन्य विनाशकारी सामग्री एकत्र कर ली थी। अधिकारियों ने दावा किया कि इस माड्यूल ने तमिलनाडु में एक छोटे से पर्वतीय स्थल वट्टक्कनल आने वाले विदेशियों खासकर यहूदियों पर हमला करने की योजना भी बनाई थी। वट्टक्कनल तमिलनाडु के डिडीगुल जिले में एक छोटा पर्वतीय क्षेत्र है, जहां हर साल सैकड़ों इजराइली युवा अनिवार्य सैन्य सेवा के बाद छुट्टियां मनाने आते हैं।
मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का माड्यूल
अधिकारियों के मुताबिक, माड्यूल ‘अंसार-उल-खिलाफा केरल’ आइएस में भर्ती करने के लिए मुस्लिम युवाओं को प्रोत्साहित करने और कट्टरपंथी बनाने के गुप्त अभियान में शामिल था। इससे जुड़े लोगों ने आइएस की विचारधारा के प्रचार के लिए विभिन्न इंटरनेट आधारित मंचों का इस्तेमाल किया। जांचकर्ताओं द्वारा सक्रिय निगरानी के दौरान मंसीद, स्वालित मोहम्मद, राशिद अली सफवान और जसीम एनके नामक पांच संदिग्धों का पता लगाया था। उन्हें दो अक्टूबर, 2016 को केरल के कन्नूर जिले से उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वे कथित रूप से सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के लिए बैठक कर रहे थे। बाद में आरोपितों के आवास पर छापा मारा गया और वहां से डिजिटल उपकरणों एवं दस्तावेजों सहित अन्य सामग्री जब्त की गईं।