
यूपी कोऑपरेटिव बैंक के लखनऊ स्थित मुख्यालय में 146 करोड़ रुपये की हेराफेरी की जांच के लिए सरकार ने कमेटी बनाई है। विशेष सचिव अच्छेलाल की अध्यक्षता वाली कमेटी विस्तृत जांच कर शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। साइबर क्राइम की टीम और बैंक के मुख्य महाप्रबंधक स्तर से भी जांच हो रही है।
सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने बताया कि यह कमेटी हर पहलू पर जांच करेगी। कमेटी यह पता लगाएगी कि पूरा खेल किसने रचा था? कौन-कौन लोग शामिल थे? हालांकि इस मामले में दस अफसरों और कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है। इस मामले में रिटायर्ड बैंक प्रबंधक आरएस दुबे और वारदात के समय तैनात सुरक्षा गार्ड शैलेंद्र कुमार को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। आरोप है कि आरएस दुबे ने कैशियर की यूजर आईडी एवं पासवर्ड हासिल कर यह रकम ट्रांसफर की थी।
74 करोड़ वापस मिले
बैंक के अध्यक्ष तेजवीर सिंह ने बताया कि मुख्य महाप्रबंधक एनके सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति जांच कर रही है। रिपोर्ट के बाद बैंक की व्यवस्था में सुधार के साथ दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैंक से 146 करोड़ रुपये हस्तांतरित हुए थे। इसमें से 74 करोड़ रुपये बैंक को एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक से वापस मिल गया है। शेष 72 करोड़ रुपये आवश्यक कानूनी कार्रवाई पूरी होने के बाद वापस मिल जाएगी।
गेस्ट हाउस बना था अनधिकृत लोगों की आरामगाह
यूपीसीएल की बिल्डिंग में स्थित गेस्ट हाउस अनधिकृत लोगों की आरामगाह बना हुआ था। गेस्ट हाउस में बैंक कर्मियों या पदाधिकारियों से ज्यादा उनके रिश्तेदार, राजनीतिक दलों के नेता और उनके समर्थक ठहरते थे। बैंक के अध्यक्ष ने बताया कि सुरक्षा कारण से गेस्ट हाउस को अब हमेशा के लिए बंद करने का निर्णय लिया है।