
पंजाब सरकार के लगातार दावों के बावजूद प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में कमी नहीं हो रही है। रविवार को प्रदेश भर में पराली जलाने के 1761 मामले सामने आए, जिसने 2021 का रिकॉर्ड तोड़ दिया। बीते साल 30 अक्तूबर को पंजाब में पराली जलाने के 1373 केस सामने आए थे।
वहीं पंजाब में 15 सितंबर से पराली जलाने की शुरुआत से लेकर रविवार (30 अक्तूबर) तक अब तक सामने आए कुल मामलों ने भी पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस सीजन में अब तक पराली जलाने के 13873 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान 10229 मामले सामने आए थे।
पराली जलाने के मामलों में लगातार हो रहे इजाफे से पंजाब के साथ दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और अन्य राज्यों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में पराली जलाने के केस में बढ़ोतरी हो सकती है।
बोर्ड की ओर से भरसक प्रयास जारी
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. आदर्श पाल विग ने माना कि पंजाब में पराली जलाने के मामलों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज में सुधार में कुछ समय तो लगता है। हालांकि बोर्ड की तरफ से किसानों को लगातार पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही पराली न जलाने वाले किसानों को सम्मानित करके अन्य को भी इसके लिए प्रेरित करने की बड़ी कोशिश की गई है।
एक्यूआई के मानक
सीपीसीबी के अनुसार शून्य से 50 के बीच एक्यूआई के स्तर को ‘अच्छा’ और 51-100 के बीच को ‘संतोषजनक’ माना जाता है। इसके बाद 101-200 तक ‘मध्यम’, 201-300 तक ‘खराब’, 301-400 तक ‘बहुत खराब’ और 401-500 तक ‘गंभीर’ माना जाता है।