
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का फर्जी अधिकारी गिरफ्तार किया है। आरोपी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर विभिन्न राज्यों में कोविड वैक्सीन के परिवहन के लिए मंत्रालय से कार्य आदेश प्रदान करने का झांसा देकर छह लोगों से 15 करोड़ की ठगी कर ली थी। इस मामले में गैंग के दो सरगना हरमन सभरवाल, गोविंद तुलस्यान समेत पांच आरोपी को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। गिरफ्तार फर्जी अधिकारी की पहचान उमेश बत्रा (49) के रूप में हुई है।
इस साल 13 अप्रैल को आर्थिक अपराध शाखा में सुनील कौशिक सहित कई शिकायतकर्ता ने धोखाधड़ी और ठगी की शिकायत की उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें कोविड टीका के परिवहन के लिए कार्य आदेश दिलाने का झांसा देकर 3-4 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। सभी शिकायतकर्ताओं के साथ एक ही तरह से ठगी को अंजाम दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि कोविड टीका के परिवहन के कार्य आदेश को निष्पादित करने के लिए उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सम्मेलन कक्ष के अंदर बिठाया गया, लेकिन बाद में सभी आरोपी फर्जी निकले। शुरुआती जांच के बाद शाखा ने मामला दर्ज कर लिया। जांच में पता चला कि 6 शिकायतकर्ता से 15 करोड़ रुपये की ठगी की गई है।
आरोपी मई 2021 में शिकायतकर्ता के संपर्क में आए। उन्होंने कोविड टीका के परिवहन के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त कार्य आदेश का प्रबंधन करने का दावा किया। आरोपी पीड़ितों का विश्वास जीतने के लिए उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ले आए, जो निर्माण भवन परिसर में स्थित है। आरोपी ने खुद को मंत्रालय का अधिकारी बताया। उसने जाली कार्य आदेशों पर शिकायतकर्ताओं के हस्ताक्षर लिए। जाली कार्य आदेश के एवज में उनके बैंक खातों से 15 करोड़ रुपये ले लिए। पुलिस ने कथित आरोपी के बैंक खातों के विवरण लिए और उनका विश्लेषण किया।
छानबीन करने के बाद पुलिस टीम ने आरोपियों की पहचान की और अगस्त-सितंबर 2022 पांच आरोपियों हरमन सभरवाल, गोविंद तुलस्यान, दिप्राना तिवारी, त्रिलोक सिंह और मृत्युंजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि उमेश बत्रा खुद को अधिकारी बताकर पीड़ितों को कांफ्रेंस रूम तक ले जाता था। जो अन्य आरोपी प्रफुल कुमार नायक और पवन कुमार राय के साथ फरार था। पुलिस ने उन्हें तफ्तीश में जुड़ने के लिए नोटिस भेजा। आरोपी उमेश बत्रा अपने घर से फरार चल रहा था और आरोपियों की तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही थी। 21 दिसंबर को उमेश बत्रा ने न्यायालय के समक्ष समर्पण कर दिया। पुलिस ने न्यायालय की अनुमति से उसे गिरफ्तार कर लिया।