
बिजली कंपनियां सोमवार को वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के साथ ही बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल करेंगी। उपभोक्ताओं के बकाये 25133 करोड़ रुपये समायोजित करने पर अगले पांच वर्षों तक 7 प्रतिशत बिजली की दरों को कम किया जा सकता है। लेकिन, बिजली कंपनियों की कोशिश है कि उदय के बजाय आरडीएसएस में अनुमोदित ज्यादा लाइन हानियों के आधार पर दरें तय हों।
सूत्रों का कहना है कि बिजली कंपनियां इस बार लगभग 13 से 15 प्रतिशत दरें बढ़ाने की तैयारी में हैं। बिजली कंपनियां इस प्रयास में लगी हैं कि वह अपने घाटे को पूरा करने के लिए अधिक लाइन लॉस दिखाकर बिजली दर बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिला लें। हालांकि नियामक आयोग बिजली कंपनियों के इस आधार को मानते हुए प्रस्ताव को स्वीकार करेगा, ऐसा कम ही लगता है।
उधर, विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि उपभोक्ताओं की बकाये राशि का समायोजन किए बिना बिजली दर बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकृत करना उपभोक्ताओं के साथ अन्याय होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से भी बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्ताव को रोकने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है तो उपभोक्ताओं की नजर में सरकार की छवि खराब होगी।