Uttarakhand : बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बसे लोगों का होगा पुनर्वास, तीन माह में बनेगी नीति

प्रदेश की नदियों के किनारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बसे लोगों के पुनर्वास के लिए तीन माह में नीति तैयार की जाएगी। सरकार अब अवस्थापना से जुड़े कार्यों की निगरानी ड्रोन से करेगी। उन इलाकों में दोपहिया एंबुलेंस चलाई जाएगी, जहां चौपहिया एंबुलेंस के पहुंचने में कठिनाई है। चौबटिया उद्यान को आयुष हब बनाया जाएगा।

प्रदेश मंत्रिमंडल ने ऐसे 21 प्रस्तावों पर अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दी। ये सभी फैसले दिसंबर महीने में हुई प्रशासनिक अधिकारियों की कांफ्रेंस में लिए गए थे। नियोजन विभाग ने एक कैबिनेट नोट के माध्यम से प्रस्ताव रखा था। प्रत्येक निर्णय के लिए समय-सीमा तय की गई है।

-बीमार एवं जरूरतमंद लोगों तक शीघ्र पहुंचने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में बाइक-एंबुलेंस चलेंगी। स्वास्थ्य व फील्ड कर्मियों के लिए बाइक की व्यवस्था
-पिथौरागढ़ के धारचूला स्थित गूंजी में उप तहसील बनेगी
-वन क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार व राजस्व में वृद्धि के की योजना बनाई जाएगी

-पर्वतीय क्षेत्रों में मत्स्य तालाब निर्माण के मानक को 100 से घटाकर 50 वर्ग मीटर किया जाएगा
-सड़क हादसों को रोकने के लिए क्रैश बैरियर लगेंगे

-जिला सेक्टर योजना के लिए पूरे साल का कैलेंडर तैयार होगा
-ऐसी योजनाओं में तीन लाख से कम का कार्य का प्रस्ताव नहीं लिया जाएगा

-शहरों से भीड़ कम करने के लिए सार्वजनिक सुविधाओं को अन्य स्थान पर स्थापित होंगी
-शहरी क्षेत्रों के पार्कों, सड़कों, दुकानों का पहाड़ी शैली में सौंदर्यीकरण होगा

-मॉल रोड नैनीताल की तर्ज पर अल्मोड़ा में पटाल बाजार विकसित होगा
-हर की पैड़ी का उज्जैन महाकाल व काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर नया कॉरिडोर बनाया जाएगा।

-हर जिले में कम से कम एक सामुदायिक रेडियो स्थापित किया जाएगा। आपदा प्रबंधन विभाग नोडल एजेंसी होगा।
-जीएमवीएन व केएमवीएन का विलय करते हुए नए पर्यटन क्षेत्रों का विकास होगा। दोनों की परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण होगा।

-विश्व बैंक और एडीबी के सहयोग से पिंडारी ग्लेशियर एवं अन्य मार्गों पर बने बुनियादी ढांचे का उपयोग स्वयं सहायता समूह और फेडरेशन के माध्यम से पीपीपी अवधारणा पर किया जाएगा।

-राज्य में गुफा पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। तीन माह में ऐसे स्थान चिन्हित होंगे। पहले चरण में पिथौरागढ़ में गुफा चिन्हित कर पर्यटकों के लिए विकसित की जाएगी।
-सीमांत जिलों में इनर-लाइन पास के लिए ऑनलाइन सिस्टम बनाया जाएगा।

-खिलाड़ियों के लिए उच्च ऊंचाई (हाई एल्टीटयूड) वाले स्थान पर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित होगा।

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