
देश की आंतरिक सुरक्षा में सेंध लगाने वाला चीन का नागरिक सुफाइ पूरी योजना के तहत वर्ष 2019 में भारत आया था। उसने दार्जिलिंग के किसान लाक्पा शेर्पा के नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाया। बुजुर्ग किसान तक दार्जिलिंग पुलिस पहुंच गई है। उसने बताया है कि जीवन में कभी उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन ही नहीं किया, तो उसके नाम पर पासपोर्ट कैसे बन गया।
दार्जिलिंग पुलिस ने सुफाइ के खिलाफ 12 बी पासपोर्ट एक्ट व धारा 491, 468 व 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। फर्जी पासपोर्ट मामले में दार्जिलिंग के डायरेक्टर आफ इंटेलीजेंस ब्यूरो (डीआइबी) के एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
गौतमबुद्ध नगर स्थित जिला जेल से सुफाइ को 10 दिन की रिमांड पर बंगाल पुलिस अपने साथ लेकर गई है। वहां उसका सामना उस किसान से कराया गया, जिसके नाम पर उसने फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनवाया। हैरानी की बात यह है कि दार्जिलिंग के पते पर ही सुफाइ ने भारतीय निर्वाचन आयोग का पहचान पत्र भी लाक्पा शेर्पा के नाम से बनवा लिया। बंगाल पुलिस रिमांड पर सुफाइ से सभी राज उगलवाने की कोशिश कर रही है। सुफाइ ने दार्जिलिंग के जिस किसान के नाम का प्रयोग कर भारतीय पासपोर्ट व पहचान पत्र बनवाया, उसकी उम्र 50 से अधिक है। सुफाइ ने इसमें चालाकी दिखाते हुए अपनी उम्र महज 32 ही लिखी, जिससे कि जांच एजेंसी को उस पर शक न हो।
तीन बार गया दार्जिलिंग
फर्जी पासपोर्ट मामले में 10 जून 2019 को सुफाइ सिलीगुड़ी गया था। वह स्थानीय मैरियट होटल में ठहरा था। वह वहां से तीन बार दार्जिलिंग गया, लेकिन वहां ठहरा नहीं। सुफाइ को पहाड़ देखने व फोटोग्राफी का शौक था। सुफाइ ने पुलिस को यह भी बताया कि वह कोविड-19 की वजह से वापस नहीं लौट सका और सिलीगुड़ी में ही रह गया था।
मतदाता पहचान पत्र की संख्या एक
असली लाक्पा शेर्पा दार्जलिंग के पुल बाजार ग्राम पंचायत का रहने वाला है। मतदाता पहचान पत्र में पता तुंग सूंग दिया गया है, मतदाता पहचान पत्र की संख्या एक ही है इसके साथ ही शैक्षिक प्रमाणपत्र सभी फर्जी है। दार्जिलिंग पुलिस ने बताया कि फर्जी नागरिकता के मामले में सुफाइ को छह फरवरी तक रिमांड में लेकर पूछताछ की गई। उसके बाद उसे दार्जिलिंग जेल भेज दिया गया।