
संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में आरोपितों के मोबाइल फोन बरामद नहीं होने के कारण साजिशकर्ताओं के बारे में पता लगाना पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है। जांच एजेंसियों को आशंका है कि प्रकरण के पीछे कुछ बड़े चेहरे हो सकते हैं, जिन्होंने आरोपितों के जरिये वारदात कराई।
स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक, आरोपितों के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल से यह तो पता लगा लिया गया कि इनकी किन लोगों से बातचीत हुई थी और किन लोगों के संपर्क में अधिक समय से थे। उस लोकेशन का भी पता लग गया है कि आरोपित पिछले कुछ दिनों के दौरान कहां गए, लेकिन मोबाइल फोन नहीं मिलने के कारण यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि चैटिंग के जरिये किनसे बात हुई।
सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपित सागर शर्मा, मनोरंजन गौड़, नीलम झा, अमोल शिंदे, ललित झा और महेश कुमावत के घर और अन्य सभी ठिकानों पर छापेमारी कर गहन तलाशी ली जा चुकी है, लेकिन जांच एजेंसी को कोई अहम सुबूत हाथ नहीं लगा है। इनकी रिमांड अवधि समाप्त होने वाली है। ऐसे में सभी को दोबारा रिमांड पर लिया जा सकता है, लेकिन यदि दोबारा रिमांड नहीं मिला तो जांच कठिन हो जाएगी।
जांच एजेंसियों के पास संसद के बाहर और अंदर के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अहम सुबूत के तौर पर हैं, जिनमें आरोपितों के घुसने से लेकर वारदात को अंजाम देने तक की फुटेज कैद है। सभी छह आरोपितों के बयान भी हैं। सूत्रों के मुताबिक सभी के बैंक खातों की भी जांच की जा चुकी है, लेकिन किसी के बैंक खातों से कोई बड़ी रकम या संदेह लायक लेने-देन का पता नहीं चला है। सागर शर्मा के घर से उसकी कुछ और डायरी मिली हैं, जिसमें कुछ मोबाइल फोन नंबर लिखे हैं। इन नंबरों की पुलिस जांच कर रही है।