
नैसर्गिक सौंदर्य व साहसिक खेलों के लिए विख्यात ऋषिकेश में कूड़े का पहाड़ शहरवासियों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है।करीब 40 से 45 मीटर ऊंचे इस कूड़े के ढेर की गंगा नदी से दूरी महज 250 मीटर है। यह पर्यावरण व पर्यटन के लिए गंभीर संकट तो बन ही रहा है, साथ ही इस क्षेत्र की परिधि में बसी हजारों की आबादी के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है।दुर्भाग्य से बीते दो से तीन दशकों में इस कूड़े के निस्तारण को न अधिकारियों ने गंभीरता दिखाई न जन प्रतनिधियों ने। इसी का परिणाम है कि यह कम होने के बजाय ऊंचा ही होता गया। अब देर सवेर सिस्टम नींद से जागा है, लेकिन अब विशाल पहाड़रूपी कूड़े के ढेर का निस्तारण गले की फांस बन रहा है।