
उत्तराखंड में हुए निकाय चुनावों के परिणामों ने कई सवाल खड़े किए हैं, खासकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के लिए। जहां-जहां कांग्रेस के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे, वहां भी पोखरियाल को बढ़त नहीं मिल पाई। यह स्थिति बीजेपी के लिए चौंकाने वाली रही, क्योंकि पोखरियाल को उम्मीद थी कि पार्टी को इन इलाकों में विजय मिलेगी, खासकर उनके नेतृत्व में चुनाव प्रचार के बाद।
हालांकि, कुछ स्थानों पर बीजेपी की स्थिति कमजोर नजर आई और कांग्रेस ने इन क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन किए। इसके कारण बीजेपी के भीतर कई सवाल उठने लगे हैं, कि आखिर इस बार चुनावी परिणामों में क्या चूक हुई। क्या पार्टी की रणनीतियों में कुछ कमी रह गई या फिर स्थानीय मुद्दों पर सही ध्यान नहीं दिया गया? इसके अलावा, कांग्रेस की बढ़ती ताकत और विपक्ष की मजबूत चुनौती भी बीजेपी के लिए एक संकेत है कि आगामी चुनावों में और भी सतर्क रहने की आवश्यकता होगी।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को इस नतीजे से काफी निराशा हुई, क्योंकि उन्होंने पार्टी के लिए अपनी तरफ से पूरा जोर लगाया था। उनका यह कहना था कि स्थानीय मुद्दों को अधिक तरजीह दी जानी चाहिए थी, लेकिन शायद पार्टी की रणनीतियों में इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। इस परिणाम ने राज्य में बीजेपी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, और आगामी चुनावों के लिए पार्टी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।