
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में चल रहे महाकुंभ मेला में इस बार 15 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई है। यह आंकड़ा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी संख्या ने प्रशासन और मेला आयोजकों को हैरान भी किया है। हालांकि, मेला अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि यह आंकड़ा पूरी तरह से सटीक नहीं हो सकता, क्योंकि महाकुंभ में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या इतनी विशाल होती है कि उसे बिल्कुल सही तरीके से गिन पाना कठिन हो जाता है।
महाकुंभ मेला एक ऐसा धार्मिक आयोजन है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर दिन स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। मेला प्रशासन और पुलिस द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, इतना बड़ा आंकड़ा सटीक रूप से गिनना मुश्किल होता है, क्योंकि लाखों लोग एक साथ घाटों पर पहुंचते हैं और उनका हिसाब रखना चुनौतीपूर्ण होता है। इस बार मेला अधिकारियों ने दावा किया है कि करीब 15 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं, लेकिन यह आंकड़ा केवल अनुमानित है।
महाकुंभ की गिनती की शुरुआत सबसे पहले ब्रिटिश काल में की गई थी, जब अंग्रेजों ने मेला में श्रद्धालुओं की संख्या का हिसाब रखना शुरू किया। उस समय से लेकर आज तक यह परंपरा चलती आ रही है, हालांकि तकनीकी विकास के साथ अब गिनती में अधिक सटीकता आ गई है। मेला प्रशासन, रेलवे, स्वास्थ्य विभाग, और पुलिस विभाग मिलकर श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाते हैं, लेकिन वास्तव में, हर व्यक्ति का हिसाब रखना अब भी कठिन है।
मेला अधिकारी बताते हैं कि कई बार लोग एक दिन में कई बार स्नान करने के लिए आते हैं, या फिर कुछ श्रद्धालु अन्य कारणों से स्नान करने के बाद घाट छोड़ देते हैं, जिससे आंकड़ों में अंतर आता है। फिर भी, महाकुंभ के दौरान भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन पूरी कोशिश करता है कि श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा और सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें।
इस बार के महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्था और सुविधाओं के लिहाज से विशेष इंतजाम किए गए थे। कड़ी सुरक्षा के बीच श्रद्धालु शांति से स्नान कर सके, इसके लिए पुलिस, अर्धसैनिक बलों और डूबते हुए किसी श्रद्धालु को बचाने के लिए विशेष दल तैनात किए गए थे। साथ ही, मेडिकल कैंप और शौचालयों का भी पर्याप्त प्रबंध किया गया था, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
हालांकि प्रशासन का कहना है कि इस बार का आंकड़ा निश्चित रूप से 15 करोड़ के आसपास है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं हो सकता। इसके बावजूद, इस महाकुंभ का आयोजन एक ऐतिहासिक घटना बन चुका है, जो देश और दुनिया भर के श्रद्धालुओं को अपने आकर्षण से आकर्षित करता है।