
उत्तराखंड राज्य में तपेदिक (टीबी) रोग के मामलों को नियंत्रित करने और मरीजों के उपचार में सुधार लाने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है। राज्य के शिक्षा मंत्री ने एक अहम निर्देश जारी किया है, जिसमें महाविद्यालयों के शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे टीबी के मरीजों को गोद लें और उनकी देखभाल तथा उपचार में सहायता करें। यह पहल टीबी रोगियों के लिए समर्पित और सहायक वातावरण बनाने के उद्देश्य से की जा रही है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य केवल टीबी के रोगियों के उपचार में मदद करना नहीं है, बल्कि समाज में इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना भी है। महाविद्यालयों के शिक्षक और विभागीय अधिकारी अब टीबी के मरीजों की देखभाल करेंगे, उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करेंगे और उनके परिवारों को मानसिक समर्थन देंगे। यह पहल राज्य सरकार की योजना का हिस्सा है, जिसमें टीबी की बीमारी से संबंधित सामाजिक कलंक को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। टीबी मरीजों को गोद लेने का यह अभियान खासकर उन मरीजों के लिए फायदेमंद होगा, जो गरीब और पिछड़े वर्ग से संबंधित हैं और जो उचित इलाज और देखभाल के लिए संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि महाविद्यालयों के शिक्षक, जो पहले से ही समाज में एक सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्रिय हैं, इस पहल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, विभागीय अधिकारी भी इस अभियान में शामिल होंगे और मरीजों के इलाज में सहायक बनेंगे। यह पहल टीबी के इलाज में सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। मंत्री ने यह भी कहा कि इस प्रकार की सामूहिक जिम्मेदारी से मरीजों को न केवल चिकित्सकीय सहायता मिलेगी, बल्कि उन्हें मानसिक समर्थन और समाज में स्वीकृति का अनुभव भी होगा। उत्तराखंड सरकार द्वारा इस पहल के जरिए टीबी के मामलों में गिरावट लाने और रोगियों के इलाज में सुधार लाने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ ही, राज्य में टीबी से जुड़े कलंक को खत्म करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है।