
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती की घोषणा की है। इस कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास होम, कार या कॉरपोरेट लोन हैं। रेपो दर में इस कटौती से बैंक और वित्तीय संस्थाएं अब उधारी की दरों को कम करने का अवसर पा सकती हैं, जिससे आम आदमी और व्यापारियों को लोन की ईएमआई (मासिक किश्त) में राहत मिल सकती है।रेपो दर वह दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों को लोन देता है। जब आरबीआई रेपो दर घटाता है, तो बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है, और यह बैंकों द्वारा ग्राहकों को लोन देने की दरों को प्रभावित करता है। इस बार 25 आधार अंकों की कटौती के बाद, बैंकों द्वारा लोन दरों में कमी की संभावना है, जो कि आमतौर पर होम लोन, कार लोन और कॉरपोरेट लोन की ईएमआई में कमी का कारण बन सकती है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटौती से उधारी का खर्च घटेगा, और इसका असर विशेष रूप से घर खरीदने और कार खरीदने वालों पर पड़ेगा। जो लोग लंबे समय से अपनी ईएमआई को लेकर चिंता में थे, उनके लिए यह राहत का समय हो सकता है। इसके अलावा, छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को भी लोन की सस्ती दरों का लाभ मिल सकता है, जो उनकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।रेपो दर में कटौती से महंगाई पर भी प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप, मांग बढ़ सकती है, जो आर्थिक गतिविधियों को गति देने में सहायक हो सकती है। हालांकि, आरबीआई ने इस दौरान महंगाई पर नजर बनाए रखने की बात भी की है, और यह भी कहा है कि इस फैसले से विकास दर में सुधार की उम्मीद है।
वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक ने आगामी समय में अपनी मौद्रिक नीति को और लचीला बनाए रखने का संकेत दिया है, जिससे वित्तीय संस्थाओं के पास अधिक तरलता आएगी। इससे बैंक लोन देने में और अधिक सक्षम होंगे, और लोन की मांग को बढ़ावा मिलेगा।इसके अलावा, इस निर्णय का असर शेयर बाजार पर भी देखा जा सकता है। अक्सर जब आरबीआई रेपो दर घटाता है, तो यह बाजार में सकारात्मक संकेत भेजता है, क्योंकि यह आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि का संकेत देता है। इस तरह की दर में कटौती से बैंकों के लाभ में भी सुधार हो सकता है, क्योंकि उधारी की लागत कम होती है, और यह उनकी कमाई को प्रभावित करता है।कुल मिलाकर, आरबीआई द्वारा की गई यह 25 आधार अंकों की कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है। अब यह देखने वाली बात होगी कि बैंक इस कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं या नहीं, और कितनी जल्दी लोन दरों में कमी आती है। हालांकि, अगर बैंक इस कटौती को जल्दी लागू करते हैं, तो यह कई लोगों के लिए आर्थिक राहत का समय हो सकता है।