
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य सरकार पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पेड़ों की कटाई को लेकर सरकार ने अत्यधिक जल्दबाजी दिखाई। यह टिप्पणी उस समय आई जब तेलंगाना सरकार ने हाल ही में एक परियोजना के तहत सैकड़ों पेड़ों को काटने की अनुमति दी थी, जिसके कारण पर्यावरणीय नुकसान होने का खतरा उत्पन्न हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में स्पष्ट जवाब मांगा और सवाल उठाया कि क्या इतनी जल्दबाजी में पर्यावरण की सुरक्षा और वनों की रक्षा को नजरअंदाज किया जा सकता है। इस मामले में सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा, “इतनी भी जल्दबाजी क्या थी कि बिना उचित मंजूरी और पर्यावरणीय आकलन के पेड़ों की कटाई शुरू कर दी?” कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से पूछा कि क्या परियोजना की जरूरत इतनी महत्वपूर्ण थी कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जाए और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक इस मामले का पूरी तरह से पर्यावरणीय आकलन नहीं किया जाता, तब तक पेड़ों की कटाई को रोका जाना चाहिए। तेलंगाना सरकार ने इस परियोजना को राज्य के विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारों के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता और राज्य सरकार को किसी भी विकास परियोजना को लागू करने से पहले पर्यावरण के प्रभाव का आकलन करना जरूरी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि “यह कोई छोटे-मोटे मामले नहीं हैं, बल्कि ये हमारे पर्यावरण, हमारे पेड़ और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार को इन फैसलों में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।” सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को यह आदेश भी दिया कि वह अपनी कार्रवाई पर पुनर्विचार करे और पर्यावरणीय प्रभावों का सही ढंग से मूल्यांकन करने के बाद ही इस तरह के कदम उठाए। इसके अलावा, कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इस मामले में किसी भी तरह की अनियमितता न हो, और पर्यावरण की सुरक्षा को सबसे पहले प्राथमिकता दी जाए।इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार के पर्यावरणीय नुकसान से बचा जा सके। इस मामले में तेलंगाना सरकार की सख्त आलोचना के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के बजाय, राज्य और केंद्र सरकारें दोनों मिलकर ऐसे वैकल्पिक और सस्टेनेबल समाधान खोजेंगी, जो पर्यावरण और विकास दोनों के बीच संतुलन बनाए रखें।