
देहरादून। उत्तराखंड में नगर पालिका प्रशासन ने अब अपनी आय बढ़ाने और शहर के विकास कार्यों को गति देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। पालिका ने निर्णय लिया है कि अब शहर के सभी कमर्शियल भवनों (व्यावसायिक इमारतों) से टैक्स की वसूली की जाएगी। इससे न सिर्फ नगर निकाय की आमदनी में इज़ाफा होगा, बल्कि टैक्स व्यवस्था को भी पारदर्शी और सख्त बनाया जाएगा।पालिका अधिकारियों के मुताबिक, लंबे समय से कई कमर्शियल भवन स्वामियों द्वारा टैक्स जमा नहीं कराया जा रहा था। कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने अपने व्यवसायिक भवन को रिहायशी बताकर कम टैक्स दर का लाभ लिया हुआ था। इसी को ध्यान में रखते हुए पालिका ने अब कमर्शियल संपत्तियों की पहचान कर उन्हें टैक्स के दायरे में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।पालिका अध्यक्ष ने जानकारी दी कि शहर में करीब 400 से अधिक ऐसे व्यावसायिक भवन चिन्हित किए गए हैं, जो अब तक टैक्स नहीं दे रहे थे या रिहायशी दिखाकर टैक्स दर बचा रहे थे। अब इन सभी भवनों की टैक्स निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।पालिका की ओर से सभी व्यवसायिक भवन स्वामियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। जो लोग निर्धारित समयावधि में टैक्स नहीं देंगे, उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।पालिका अधिकारी ने बताया कि इससे पालिका को हर साल लाखों रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी, जिससे शहर के विकास कार्यों, सड़क मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, सफाई व्यवस्था और जलापूर्ति जैसे कार्यों को और बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकेगा।पालिका के इस फैसले का कुछ भवन स्वामियों ने विरोध किया है, वहीं कुछ व्यापारियों ने इसे नगर के विकास के लिए सकारात्मक कदम बताया है। व्यापार मंडल ने पालिका से टैक्स दर में थोड़ी रियायत की मांग की है, ताकि छोटे व्यापारियों पर ज्यादा बोझ न पड़े।पालिका प्रशासन का कहना है कि नियमों के तहत ही टैक्स दर तय की जाएगी और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।नगर आयुक्त ने कहा, “शहर की स्वच्छता, मूलभूत सुविधाओं और विकास कार्यों के लिए पालिका का आर्थिक रूप से मजबूत होना ज़रूरी है। टैक्स वसूली का यह अभियान नियमित रूप से चलता रहेगा और टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”अब देखना होगा कि पालिका की इस सख्ती के बाद व्यावसायिक भवन मालिक कितनी गंभीरता से टैक्स जमा करते हैं और शहर की तरक्की में अपना योगदान देते हैं।