
पूरे विश्व में कैथोलिक समुदाय और धार्मिक जगत के लिए बेहद दुखद खबर सामने आई है। कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु और वेटिकन सिटी के प्रमुख पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पोप फ्रांसिस पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे और वेटिकन स्थित अपने आवास में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर वेटिकन प्रशासन ने आधिकारिक बयान जारी कर दी है, जिसके बाद दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई है। पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, वर्ष 2013 में कैथोलिक चर्च के 266वें पोप के रूप में चुने गए थे। वे दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना से आने वाले पहले पोप थे, और अपने सरल स्वभाव, मानवीयता और गरीबों के प्रति विशेष लगाव के लिए दुनियाभर में जाने जाते थे। पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में चर्च के कई ऐतिहासिक फैसले लिए, सामाजिक न्याय, शांति, पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकारों के मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। बीते कुछ वर्षों में उनकी तबीयत लगातार खराब चल रही थी। स्वास्थ्य कारणों से वे कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग नहीं ले पा रहे थे। वेटिकन सूत्रों के मुताबिक, बीते कुछ दिनों से उनकी हालत और ज्यादा नाज़ुक हो गई थी। शनिवार रात वेटिकन प्रशासन ने उनके स्वास्थ्य पर चिंता जताते हुए विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन भी किया था। लेकिन रविवार तड़के पोप फ्रांसिस ने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना मिलते ही दुनिया भर से श्रद्धांजलि संदेश आने शुरू हो गए हैं। कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों, धार्मिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और चर्च के अनुयायियों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। भारत में भी कैथोलिक समुदाय और विभिन्न चर्चों में उनके लिए विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। वेटिकन प्रशासन ने जानकारी दी है कि अगले तीन दिनों तक वेटिकन सिटी में राजकीय शोक रहेगा और पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार वेटिकन में पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाएगा। पोप फ्रांसिस का जाना न केवल कैथोलिक चर्च के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विनम्रता, करुणा और सामाजिक समर्पण की भावना ने दुनियाभर के लोगों को प्रेरित किया। उनके निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया है। अब पूरी दुनिया की निगाहें वेटिकन पर टिकी हैं, जहाँ जल्द ही नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।