
चारधाम यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, इस वर्ष भूस्खलन के बढ़ते खतरे का सामना कर रही है। यात्रा के मार्गों पर भूस्खलन के कारण खतरा बढ़ गया है, और यह समस्या पिछले साल के मुकाबले दोगुनी हो गई है। उत्तराखंड में स्थित चार प्रमुख तीर्थ स्थल—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री—की यात्रा के दौरान भूस्खलन की घटनाओं के बढ़ने से यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं।
भूस्खलन प्रभावित मार्गों में इजाफा
वर्ष 2025 में चारधाम यात्रा मार्गों पर भूस्खलन के क्षेत्रों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पिछले साल जहां यह प्रभावित मार्ग कुछ चुनिंदा इलाकों तक सीमित थे, वहीं इस साल यात्रा मार्गों पर दोगुने से भी ज्यादा जगहों पर भूस्खलन की संभावना बन गई है। यह खासतौर पर उन जगहों पर देखने को मिला है जहां पहाड़ी रास्ते और सड़कों की स्थिति खराब हो गई है। भूस्खलन के कारण कई स्थानों पर यातायात बाधित हो सकता है, जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। इन मार्गों पर कोई बड़ी दुर्घटना होने का खतरा भी बना हुआ है, जिससे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
संवेदनशील क्षेत्र और सुरक्षा उपाय
चारधाम यात्रा मार्ग में कुछ विशेष स्थान अत्यधिक संवेदनशील हो गए हैं, जहां भूस्खलन के खतरे का अधिक आकलन किया गया है। इनमें से प्रमुख संवेदनशील क्षेत्र वह हैं जहां हाल के दिनों में भारी बारिश और हिमपात के कारण जमीन में भूस्खलन की संभावनाएं अधिक बढ़ी हैं। खासकर केदारनाथ, बदरीनाथ, और गंगोत्री के मार्गों पर भूस्खलन के अधिक खतरे की चेतावनी दी गई है। इन क्षेत्रों में सड़क निर्माण कार्य, पहाड़ों की खुदाई, और कमजोर आधारभूत संरचनाओं के कारण जोखिम और बढ़ गए हैं।सरकार और जिला प्रशासन ने इन क्षेत्रों में यात्रा के दौरान सुरक्षा के उपायों को सख्त कर दिया है। प्रशासन ने समय-समय पर भूस्खलन संभावित इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है और इन स्थानों पर भारी मशीनों की सहायता से मलबे को हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। साथ ही, यात्रियों को मार्ग में सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए यात्रा की तिथि और समय के बारे में पूर्वानुमान दिया जा रहा है, ताकि भूस्खलन वाले क्षेत्रों से बचते हुए यात्रा की जा सके।
भूस्खलन के प्रभाव पर विशेष ध्यान
भूस्खलन के कारण यात्रा मार्गों में ध्वस्त हुए हिस्सों का पुनर्निर्माण और मरम्मत कार्य भी जारी है। इन क्षेत्रों में सुरक्षा उपकरण और चेतावनी संकेतक लगाए गए हैं ताकि यात्रियों को खतरे से आगाह किया जा सके। प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर अतिरिक्त बचाव दल की तैनाती की है, और भूस्खलन प्रभावित इलाकों के आसपास रहने वाले लोगों को भी सुरक्षित स्थानों पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। यात्रा के मार्ग में असुरक्षित स्थानों पर पहले से बूस्टर सड़क बनाकर वहां की स्थिरता बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।इसके अलावा, यात्रा के मार्गों पर आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को भी बढ़ाया गया है। विभिन्न मार्गों पर भूस्खलन के कारण किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं और रेस्क्यू टीमों को तैनात किया गया है। चारधाम यात्रा के मार्ग पर भूस्खलन के खतरों में लगातार बढ़ोतरी ने यात्रियों की सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हालांकि, प्रशासन और संबंधित विभाग इन खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन यात्रियों को यात्रा करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान और वहां सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन करने से यात्रा को सुरक्षित बनाया जा सकता है। राज्य सरकार और संबंधित विभाग इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए प्रयासरत हैं।