
उत्तराखंड के प्रसिद्ध तृतीय केदार, बाबा तुंगनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे और धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा बने। तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया बहुत धूमधाम से संपन्न हुई, जिसमें भक्तों की आस्था और श्रद्धा का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। यह आयोजन हर साल की तरह इस वर्ष भी भक्तों के लिए एक विशेष धार्मिक अनुभव था, जिसमें हजारों लोग बाबा के दर्शन के लिए उमड़े।तुंगनाथ धाम, जो कि पांचों केदारों में से एक है, समुद्रतल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थल भगवान शिव के अभ्युदय के प्रतीक के रूप में माना जाता है और श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कपाट खुलने की प्रक्रिया के दौरान श्रद्धालुओं ने भव्य पूजा अर्चना की और बाबा तुंगनाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर परिसर में जयकारे गूंज रहे थे, और भक्त बाबा के दर्शन के साथ इस दिव्य स्थल की पवित्रता को महसूस कर रहे थे।
पवित्र अनुष्ठान और पूजा की विधि
बाबा तुंगनाथ के कपाट खोलने से पहले मंदिर में पवित्र अनुष्ठान किए गए। वैदिक मंत्रों के साथ मंदिर के दरवाजे खोले गए और बाबा तुंगनाथ की आराधना की गई। यह दिन श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अवसर था, क्योंकि इसके साथ ही छह महीने के लिए तुंगनाथ धाम भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। इस अवधि के दौरान, श्रद्धालु हर दिन बाबा के दर्शन कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति की प्रार्थना कर सकते हैं।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
तुंगनाथ के कपाट खुलने के दिन, श्रद्धालुओं का विशाल सैलाब देखने को मिला। उत्तराखंड और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त इस धार्मिक स्थल पर पहुंचे। श्रद्धालु पारंपरिक पूजा विधियों का पालन करते हुए भगवान शिव की उपासना में लीन हो गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य सरकारी अधिकारी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने इस पवित्र अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी और राज्य सरकार द्वारा यात्रा के लिए किए गए सुरक्षा इंतजामों का जिक्र किया।
यात्रा की तैयारियाँ और सुरक्षा
बाबा तुंगनाथ के कपाट खोलने से पहले प्रशासन ने यात्रा के मार्ग पर विशेष सुरक्षा और व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की थीं। भारी बर्फबारी और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद, प्रशासन ने रास्ते को साफ करने और यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाए। हेलीकॉप्टर सेवाओं के साथ-साथ यात्रा के मार्ग पर पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके।साथ ही, इस साल तुंगनाथ यात्रा में कोविड-19 के नियमों का पालन भी सख्ती से किया जा रहा है। श्रद्धालुओं को मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और सैनिटाइजेशन की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, ताकि यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या उत्पन्न न हो।
बाबा तुंगनाथ के दर्शन का महत्व
तुंगनाथ मंदिर के दर्शन का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। माना जाता है कि यह मंदिर भगवान शिव के तुंगभद्र रूप का प्रतीक है, और जो श्रद्धालु यहां आते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। पवित्र माने जाने वाले इस स्थल की यात्रा पर जाने वाले लोग न केवल धार्मिक उद्देश्य से आते हैं, बल्कि यहां की प्राचीन वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद लेते हैं।बाबा तुंगनाथ के दर्शन का लाभ लेने के लिए श्रद्धालु छह महीने तक यहां आ सकते हैं, क्योंकि इन छह महीनों में तुंगनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। इस समय के दौरान, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिससे यहां का वातावरण पूरी तरह से भक्ति और आस्था से भरा रहता है। बाबा तुंगनाथ के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, और यह अवसर हर श्रद्धालु के लिए एक ऐतिहासिक और दिव्य पल है। सरकार और प्रशासन की ओर से की गई तैयारियों के चलते यात्रा सुरक्षित और समृद्ध होगी। इस मौके पर, श्रद्धालुओं ने बाबा तुंगनाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना की। अब अगले छह महीनों तक तुंगनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा, और यह स्थल आस्था और श्रद्धा का केंद्र बने रहेगा।