
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान एक बार फिर एक संवेदनशील और दिल छू लेने वाली कहानी के साथ दर्शकों के सामने लौटे हैं। इस बार उनके साथ स्क्रीन पर नजर आईं हैं जेनेलिया डिसूज़ा, और दोनों की सादगी, अभिनय और केमिस्ट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। ‘सितारे ज़मीन पर’ नामक यह फिल्म न केवल सिनेमाघरों में दर्शकों को खींचने में कामयाब रही, बल्कि इसने लोगों के दिलों में गहरी जगह भी बना ली है।यह फिल्म खासतौर पर उन बच्चों पर केंद्रित है जो स्पेशल एबल यानी विशेष योग्यताएं रखने वाले होते हैं। समाज में अक्सर इन बच्चों को उपेक्षित नजरों से देखा जाता है, लेकिन फिल्म ने बड़ी संवेदनशीलता के साथ उनके संघर्ष, भावनाएं और सपनों को पर्दे पर उतारा है। फिल्म की कहानी ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया—हर बच्चा खास है, और उन्हें समझने की जरूरत है, ठुकराने की नहीं।आमिर खान ने एक बार फिर साबित किया कि वह केवल एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर फिल्मकार भी हैं। उन्होंने फिल्म में एक शिक्षक की भूमिका निभाई है, जो स्पेशल एबल बच्चों के जीवन में उम्मीद की किरण लेकर आता है। वहीं जेनेलिया डिसूज़ा ने एक मां की भूमिका में अपने अभिनय से सबको भावुक कर दिया। उनकी आंखों की नमियां और चेहरे की मासूम चिंता ने हर माता-पिता के दिल को छू लिया।फिल्म को न केवल समीक्षकों से सराहना मिली है, बल्कि आम दर्शकों से भी इसे भरपूर प्यार मिला। सोशल मीडिया पर दर्शकों की प्रतिक्रियाएं भावनाओं से भरी हुई हैं—कई लोगों ने लिखा कि फिल्म ने उन्हें रुला दिया, तो किसी ने कहा कि उन्होंने पहली बार किसी फिल्म में खुद को इतने करीब से महसूस किया।फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड म्यूजिक और भावनात्मक दृश्यों ने इसे एक संपूर्ण अनुभव बना दिया है। कहानी में जहां कहीं हंसी के पल हैं, वहीं कई ऐसे मोड़ भी हैं जो आंखों में आंसू ला देते हैं। यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है—क्या हम अपने समाज में वाकई सभी को बराबरी का स्थान दे रहे हैं?ओपनिंग डे पर फिल्म ने न केवल भारत में शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि विदेशों में भी इसकी चर्चा हो रही है। ‘सितारे ज़मीन पर’ की कहानी ने सीमाओं को पार कर भावनाओं का ऐसा पुल बनाया है, जो हर भाषा, हर संस्कृति में दर्शकों को जोड़ रहा है।यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘सितारे ज़मीन पर’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है—जो आपको भीतर तक झकझोर देता है और सोचने पर मजबूर करता है कि असली सितारे ज़मीन पर ही होते हैं, बस हमें उन्हें देख पाने की नजर चाहिए।