
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक बबनराव लोनीकर एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा में हैं। जालना जिले के परतुर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने ऐसी टिप्पणी कर दी, जिससे न सिर्फ विपक्ष भड़क उठा है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी आलोचनाओं की बाढ़ आ गई है।
क्या कहा लोनीकर ने?
हर घर सोलर योजना पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए लोनीकर ने कहा कि जो लोग सोशल मीडिया पर बीजेपी और एनडीए सरकार की आलोचना करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके पास जो कपड़े, जूते, मोबाइल फोन और जीवन यापन की सुविधाएं हैं, वह सब बीजेपी सरकार की योजनाओं की देन हैं।
वायरल वीडियो में लोनीकर यह कहते हुए सुने गए:
“कुछ लोग और खासकर युवा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमारी और हमारी पार्टी की आलोचना करते हैं। हमने आपके गांव में ओवरहेड टैंक, कंक्रीट सड़कें, हॉल और सरकारी योजनाएं दी हैं। हमने आपकी माताओं को वेतन, पिताओं को पेंशन, बहनों को लाडकी बहन योजना का लाभ और पिता को बुवाई के लिए 6 हजार रुपये दिए हैं। आपके पास जो कपड़े, जूते और मोबाइल हैं, वो सब हमारी वजह से हैं।”
विपक्ष का पलटवार
इस बयान पर शिवसेना (यूबीटी) के विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (ट्विटर) पर लिखा:
“आपका विधायक का दर्जा लोगों की वजह से है। आपके कपड़े, जूते, हवाई टिकट, लीडरशिप पोजिशन और आपकी कार में डीजल भी लोगों की वजह से ही है।”
“लोगों को इन शब्दों को याद रखना चाहिए। चुनाव आ रहे हैं।”
दानवे ने लोनीकर को “ब्रिटिश राज का देसी संस्करण” बताया और कहा कि जनता को अपने मताधिकार की शक्ति का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
सोशल मीडिया पर जनता की नाराजगी
लोनीकर के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिला है। कई यूजर्स ने इसे ‘घमंड की पराकाष्ठा’ बताया, वहीं कुछ लोगों ने कहा कि नेताओं को याद रखना चाहिए कि वे जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं। राजनीतिक मंचों से ऐसे बयान न केवल जनता की भावनाओं को आहत करते हैं, बल्कि एक चुने हुए जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी और सोच पर भी सवाल उठाते हैं। जहां एक ओर योजनाओं का लाभ देना सरकार का कर्तव्य है, वहीं इसके बदले जनता को नीचा दिखाना या उनके जीवन की बुनियादी चीजों को अपनी देन बताना लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।आगामी चुनावों को देखते हुए यह बयान विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है और बीजेपी को इस पर स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है।