
26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर हुसैन राणा ने अब कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जिससे पाकिस्तान की सेना, ISI और आतंकी संगठनों के गठजोड़ की पोल पूरी तरह खुलती दिखाई दे रही है। तहव्वुर राणा इस समय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में है और मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच भी उससे गहन पूछताछ कर चुकी है। इस पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि उसने ही हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी, ताकि वह छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CST) जैसे भीड़भाड़ वाले मुख्य स्थलों की रेकी कर सके।
मेन टारगेट पहचानने में दी थी हेडली को मदद
तहव्वुर राणा ने साफ तौर पर बताया कि उसने हेडली को भारत में आतंकी हमले की योजना को अंजाम देने के लिए जरूरी जानकारियां, नक्शे और संपर्क उपलब्ध कराए थे। खासतौर पर CST स्टेशन, जो 26/11 हमलों में सबसे बड़े लक्ष्यों में से एक था, उसकी पहचान और जानकारियां भी उसी ने साझा की थीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राणा हमले की साजिश रचने वालों में अग्रणी भूमिका निभा रहा था।
पाकिस्तानी सेना में था डॉक्टर, फिर बना आतंकी साजिशकर्ता
पूछताछ में राणा ने यह भी खुलासा किया कि वह 1986 में पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित आर्मी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेकर निकला था। इसके बाद वह क्वेटा में पाकिस्तानी सेना में एक कैप्टन डॉक्टर के रूप में तैनात हुआ। इस दौरान उसे सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन-बलोतरा जैसे संवेदनशील सैन्य क्षेत्रों में पोस्टिंग मिली थी।हालांकि, सियाचिन में ड्यूटी के दौरान राणा को पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी) हो गई। वह समय पर ड्यूटी नहीं पहुंच पाता था, जिसके कारण उसे पाकिस्तानी सेना ने भगोड़ा घोषित कर दिया। इसके बाद वह सैन्य सेवा से अलग हो गया और आतंक के रास्ते पर चल पड़ा।
लश्कर-ISI और पाकिस्तानी आर्मी के गठजोड़ पर सवाल
राणा के कबूलनामे से यह भी उजागर होता है कि कैसे पाकिस्तानी सेना, ISI और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा के बीच गहरी साठगांठ है। एक पूर्व सेना अधिकारी, जो संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात था, वह भारत में हुए सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक की साजिश रचने में अहम किरदार निभा रहा था।
भारत की जांच एजेंसियां अलर्ट पर
अब जब राणा ने खुद कई अहम जानकारियों को स्वीकार कर लिया है, भारत की जांच एजेंसियां उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित कर अधिक गहन पूछताछ में जुट गई हैं। एनआईए और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम उसके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों के आधार पर 26/11 के नेटवर्क को दोबारा खंगाल रही है।
पाकिस्तान की भूमिका फिर हुई बेनकाब
तहव्वुर राणा के इन बयानों से एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान की दोहरे चरित्र की पोल खुली है – एक ओर वह आतंकवाद के खिलाफ होने की बातें करता है, वहीं दूसरी ओर उसकी सेना और खुफिया एजेंसियां सीधे तौर पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में शामिल रहती हैं।