
देहरादून सचिवालय में लंबे समय से एक ही अनुभाग और विभाग में जमे अफसरों पर अब गाज गिरने जा रही है। प्रदेश के मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने सचिवालय प्रशासन में तबादलों को लेकर नई ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी दे दी है, जिसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इस नीति के तहत सभी आवश्यक तबादलों की समयसीमा 31 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है।
वर्षों पुरानी तबादला नीति रह गई थी सिर्फ कागजों में
गौरतलब है कि सचिवालय में 2007 में तबादला नीति लागू की गई थी, मगर वह कभी प्रभावी तरीके से अमल में नहीं आ सकी। नतीजतन, कई अनुभागों में अधिकारी और कर्मचारी वर्षों से एक ही कुर्सी पर टिके हुए थे, जिससे कार्यशैली में निष्क्रियता, पक्षपात और विभागीय असंतुलन जैसी शिकायतें बढ़ने लगी थीं।मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की ओर से लागू की गई यह नई नीति सचिवालय सेवा संवर्ग के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों—अनुभाग अधिकारी से लेकर संयुक्त सचिव, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, और कंप्यूटर सहायकों—पर प्रभावी रूप से लागू होगी।
तबादले होंगे समिति की सिफारिश पर
तबादला प्रक्रिया की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष समिति का गठन भी किया जाएगा। इस समिति में मुख्य सचिव की मंजूरी के बाद एक अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा, जो कि अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव (सचिवालय सेवा) में से कोई एक हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, अपर सचिव सचिवालय प्रशासन और मुख्य सचिव द्वारा नामित अपर सचिव स्तर के अधिकारी इस समिति के सदस्य होंगे। यह समिति वार्षिक तबादलों के लिए जिम्मेदार होगी और उसी के माध्यम से सभी पोस्टिंग्स की समीक्षा की जाएगी।
किस श्रेणी के अफसर कितने समय तक रह सकेंगे एक विभाग में
नई नीति में यह स्पष्ट रूप से तय कर दिया गया है कि सचिवालय सेवा के अलग-अलग श्रेणियों के अधिकारियों को एक ही विभाग या अनुभाग में सीमित अवधि तक ही कार्य करने दिया जाएगा:
- श्रेणी-क (संयुक्त सचिव/अनुभाग अधिकारी स्तर) – अधिकतम 3 वर्ष
 - श्रेणी-ख (सहायक समीक्षा अधिकारी आदि) – अधिकतम 5 वर्ष
 - श्रेणी-ग (समीक्षा अधिकारी/कंप्यूटर सहायक) –
- समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी – अधिकतम 5 वर्ष
 - कंप्यूटर सहायक – अधिकतम 7 वर्ष
 
 
प्रशासन में आएगा नई ऊर्जा का संचार
विशेषज्ञों और प्रशासनिक हलकों का मानना है कि वर्षों से एक ही स्थान पर जमे अधिकारियों को हटाने से कामकाज में पारदर्शिता, प्रशासनिक संतुलन, और नवीन ऊर्जा का संचार होगा। इससे सचिवालय में लंबे समय से बनी निष्क्रियता और विभागीय राजनीति पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।नई तबादला नीति को लागू करने का निर्णय सरकार की सुधारवादी सोच और प्रशासनिक ढांचे को चुस्त-दुरुस्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि इस नीति का अमल कितनी प्रभावशीलता और निष्पक्षता के साथ किया जाता है।