
उत्तराखंड के चमोली जिले में शुक्रवार देर रात भूकंप के झटकों ने एक बार फिर लोगों को दहशत में डाल दिया। रात के सन्नाटे को चीरते हुए धरती में अचानक आए कंपन से लोग सहम गए और अपने घरों व दुकानों से बाहर निकलकर सड़कों पर खड़े हो गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के मुताबिक, यह भूकंप रात के समय आया और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.3 मापी गई। भूकंप का केंद्र चमोली जिले में जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था।
यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे कुछ दिन पहले, 8 जुलाई को भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 3.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था, जो दोपहर 1:07 बजे आया और उसका केंद्र भी जमीन से 5 किलोमीटर की गहराई में था। इस तरह लगातार आ रहे झटकों ने विशेषज्ञों और आमजन दोनों को सतर्क कर दिया है।
भूकंप क्यों आता है, यह समझना जरूरी है। पृथ्वी की सतह 7 बड़ी प्लेट्स में बंटी हुई है, जो लगातार अपनी धुरी पर घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं, उन क्षेत्रों को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। जब ये प्लेट्स टकराती हैं, तो उनके किनारों में मुड़ाव आने लगता है और लंबे समय तक दबाव बढ़ने के बाद प्लेट्स टूट जाती हैं। इस टूटने के कारण जो ऊर्जा बाहर निकलती है, वही भूकंप का कारण बनती है।
भूकंप के झटके का सबसे अधिक प्रभाव उस क्षेत्र में होता है, जहां से यह उत्पन्न होता है — जिसे “एपीसेंटर” या केंद्र कहा जाता है। केंद्र के आस-पास का क्षेत्र कंपन को तीव्रता से महसूस करता है, जबकि जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, कंपन का प्रभाव कम होता जाता है। हालांकि यदि भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक हो, तो लगभग 40 किलोमीटर के दायरे में उसका असर गंभीर रूप से देखा जा सकता है।
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए वैज्ञानिक ‘रिक्टर स्केल’ का प्रयोग करते हैं। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। यह स्केल भूकंप को 1 से 9 तक के पैमाने पर मापता है। रिक्टर स्केल पर 1 तीव्रता वाला भूकंप बहुत हल्का होता है, जबकि 9 तीव्रता वाला भूकंप अत्यधिक विनाशकारी होता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसी की तीव्रता और उसके प्रभाव को रिक्टर स्केल से मापा जाता है।
भले ही चमोली में आया यह भूकंप अपेक्षाकृत कम तीव्रता वाला था, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों की संवेदनशीलता को देखते हुए यह एक चेतावनी के रूप में जरूर देखा जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो लगातार आ रहे हल्के झटके भविष्य में बड़े भूकंप की आहट भी हो सकते हैं। इस कारण जरूरी है कि प्रशासन और नागरिक दोनों ही सतर्क रहें और आपदा प्रबंधन के नियमों का पालन करें।