दिल्ली दरबार में गूंजा धामी का परचम, अमित शाह ने लौटते ही की तारीफ

उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। इसकी वजह है केंद्र सरकार के सबसे ताकतवर चेहरों में से एक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की खुली सराहना, जो उन्होंने उत्तराखंड से लौटने के दो दिन बाद सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक की। इस पोस्ट ने प्रदेश की राजनीतिक फिजाओं में गर्माहट बढ़ा दी है और बीजेपी के भीतर नए सियासी समीकरणों की अटकलों को हवा दी है।

शनिवार को रुद्रपुर में आयोजित एक भव्य आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक लाख करोड़ रुपये के निवेश के धरातल पर उतरने के अवसर पर उत्तराखंड आए थे। यह आयोजन न केवल राज्य के आर्थिक विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि इससे भी बड़ी बात यह रही कि उस दौरान सीएम धामी और अमित शाह के बीच शानदार राजनीतिक समझ और मुट्ठी में राज्य वाली बॉडी लैंग्वेज साफ दिखाई दी।

कार्यक्रम के दौरान ही अमित शाह ने सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री धामी की भूमिका, दृढ़ता और नेतृत्व क्षमता की सराहना करते हुए कहा था कि जो काम अब तक केवल कागजों और मंचों तक सीमित रहते थे, उन्हें धामी सरकार ने जमीन पर उतारकर दिखा दिया है। और अब, सोमवार को अमित शाह की आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट ने इस प्रशंसा को और भी ऊँचाई पर पहुंचा दिया है।

अमित शाह ने अपनी पोस्ट में लिखा,

“मैदानी राज्यों की तुलना में पहाड़ी राज्य में निवेश लाना किसी पहाड़ पर चढ़ने जैसा कठिन होता है, लेकिन उत्तराखंड ने यह कर दिखाया है। यह एक परंपरागत सोच को तोड़ने वाला काम है। एक लाख करोड़ से अधिक का निवेश यहां लाया गया है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड की जनता को साधुवाद देता हूँ।”

शाह की इस टिप्पणी को केवल सामान्य प्रशंसा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। अब तक धामी को केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी और भरोसेमंद माना जाता था, लेकिन अमित शाह की यह पोस्ट इस बात का संकेत दे रही है कि धामी की धमक अब दिल्ली दरबार के दूसरे महत्वपूर्ण खेमे — यानी शाह की राजनीति में भी दर्ज हो चुकी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह की इस पोस्ट से दो संदेश एक साथ गए हैं — एक धामी को लेकर पार्टी में विश्वास का इज़ाफा और दूसरा उन नेताओं के लिए चेतावनी जो अभी तक उन्हें हल्के में लेते थे। यह पोस्ट मुख्यमंत्री के विरोधियों की धड़कनें जरूर बढ़ा गई है, वहीं पार्टी के अंदर उनके प्रभाव और आत्मविश्वास में नई धार लाई है।

इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर यह साफ होता जा रहा है कि उत्तराखंड में बीजेपी की भविष्य की रणनीति में धामी केंद्रीय चेहरा बने रहेंगे। साथ ही उनकी नेतृत्व क्षमता, दिल्ली के बड़े नेताओं के भरोसे पर खरी उतरती दिख रही है। अब जब उत्तराखंड निवेश के नए युग में प्रवेश कर चुका है, तब उसका राजनीतिक नेतृत्व भी एक नए स्तर की मान्यता प्राप्त करता दिखाई दे रहा है।

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