
लखनऊ में मासूमों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। किड्जी प्री-स्कूल में पढ़ने वाली महज चार साल की बच्ची के साथ स्कूल वैन में दुष्कर्म की घटना ने पूरे शहर को हिला दिया है। यह मामला न सिर्फ समाज की संवेदनाओं को झकझोर रहा है, बल्कि प्रशासन और शिक्षा विभाग की निष्क्रियता भी उजागर कर रहा है।
घटना के बाद से बच्ची सदमे में है। वह लोगों को देखते ही डर के मारे दुबक जाती है और बस एक ही बात दोहराती है – “अंकल शैतानी करेंगे…”। उसकी मां का कहना है कि बेटी बुरी तरह डर गई है और घर से बाहर निकलने से भी कतरा रही है। इस दर्दनाक हादसे के बाद पीड़िता की मां ने स्कूल प्रबंधन से फीस वापस करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे स्कूल के बाहर धरने पर बैठेंगी।
स्कूल प्रबंधन ने देने की कोशिश की ‘चुप्पी की कीमत’
मां का आरोप है कि जब वह शिकायत लेकर स्कूल पहुंचीं, तो प्रबंधक ने उन्हें यह कहकर चुप कराने की कोशिश की कि अगर वे पुलिस से शिकायत नहीं करेंगी तो बच्ची की पूरी फीस माफ कर दी जाएगी। यह बयान न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि स्कूल प्रशासन की संवेदनहीनता और अपराध छिपाने की मानसिकता को भी दर्शाता है।
एक साल में दूसरा बड़ा झटका
बच्ची की मां ने बताया कि एक साल पहले ही उनके पति की बीमारी से मृत्यु हो गई थी। उस सदमे से वह अभी उबर भी नहीं पाई थीं कि अब यह घटना हो गई। मासूम बच्ची अब भी अपने पिता का इंतजार कर रही है। वह मां से बार-बार पूछती है, “पापा अस्पताल से कब आएंगे?” मां की आंखें यह बात बताते हुए छलक उठती हैं।
प्रशासन और शिक्षा विभाग में जिम्मेदारी का खेल
पुलिस ने आरोपी वैन चालक को तो गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। डीआईओएस और बीएसए एक-दूसरे पर कार्रवाई की जिम्मेदारी डालते नजर आए। डीआईओएस राकेश कुमार ने कहा कि प्री-प्राइमरी स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन आते हैं, जबकि बीएसए रामप्रवेश ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि प्री-स्कूल उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आते। नतीजतन, बच्ची के साथ हुई इस अमानवीय घटना पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ फाइलें इधर-उधर घूम रही हैं।
स्कूल में सन्नाटा, अभिभावकों में डर
घटना के बाद स्कूल में सात दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई है। सोमवार को स्कूल के बाहर सन्नाटा पसरा रहा। गेट के पास चाट का ठेला लगाने वाले राजेश ने बताया कि पहले स्कूल के बाहर काफी चहल-पहल रहती थी, लेकिन अब वहां सन्नाटा और डर का माहौल है। स्कूल के कर्मचारी भी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
अफसरों के रवैये पर गंभीर सवाल:
- क्या प्री-स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी नहीं है?
- क्या कोई निजी स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी करता रहेगा और कोई कार्रवाई नहीं होगी?
- अगर प्री-स्कूल BSA और DIOS के दायरे में नहीं आते, तो फिर उनकी निगरानी कौन करेगा?
- क्या कोई स्कूल मनचाहे तरीके से छुट्टी कर ताला लगा सकता है?
- क्या प्री-स्कूल व्यवस्था से बाहर हैं?