धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश: देहरादून पुलिस आगरा से आरोपियों को लाएगी बी वारंट पर

उत्तराखंड में अवैध मतांतरण रैकेट की परतें एक-एक कर खुलती जा रही हैं। मामले में तेजी लाते हुए देहरादून पुलिस की एक विशेष टीम आरोपितों को बी वारंट पर लेने के लिए आगरा रवाना हो चुकी है। इस कार्रवाई के पीछे मुख्य उद्देश्य उन कड़ियों को जोड़ना है, जो अब तक राज्य के भीतर ही सीमित मानी जा रही थीं लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों जैसे पुलवामा (कश्मीर) और सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) से भी जुड़ती दिख रही हैं।

पूछताछ से निकल रही नई जानकारियां

देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र निवासी सुमैया से पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सुमैया ने पुलिस को बताया कि उसे इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली एक युवती कश्मीर के पुलवामा की रहने वाली है। इसी युवती ने उसे कुरान की तालीम दी और मतांतरण के लिए मानसिक रूप से तैयार किया। इसके अतिरिक्त, पूछताछ में सिलीगुड़ी की एक और युवती का नाम भी सामने आया है, जिससे सुमैया के संपर्क की पुष्टि हुई है। फिलहाल, पुलिस इन दोनों युवतियों की पहचान और उनकी भूमिका की जांच में जुटी हुई है।

मुख्य सरगना अब्दुल रहमान के इर्द-गिर्द घूम रही साजिश

इस पूरे नेटवर्क का उत्तराखंड में मुख्य संचालनकर्ता अब्दुल रहमान बताया जा रहा है। पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि सुमैया के अब्दुल रहमान से सीधे लिंक हैं। रहमान ने सुमैया के बैंक खाते में ₹25,000 की धनराशि ट्रांसफर की थी। यह रकम रानीपोखरी की एक युवती मरियम को दिल्ली भेजने हेतु खर्च की जानी थी। हालांकि, मरियम ने अंत समय में यात्रा करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद सुमैया ने रकम लौटाने का दावा किया है। यह जानकारी सुमैया ने पुलिस को अपनी पूछताछ में दी है।

विदेशों से हो रही फंडिंग, दुबई और पाकिस्तान का कनेक्शन

आगरा पुलिस द्वारा की गई जांच में भी कई सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं। जांच में बताया गया कि अब्दुल रहमान और उसके सहयोगी जब भी किसी कार्य के लिए पैसा खर्च करते थे, तो उस लेन-देन का स्क्रीनशॉट दुबई और पाकिस्तान भेजते थे। इस लेन-देन की पुष्टि के बाद ही उन्हें विदेशी स्रोतों से फंडिंग मिलती थी। यह बात स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि मतांतरण रैकेट केवल भारत में सीमित नहीं, बल्कि इसकी जड़ें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैली हुई हैं।

एसटीएफ और एसओजी ने बढ़ाई सक्रियता

देहरादून पुलिस के साथ-साथ स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की टीमें भी इस पूरे मामले में जांच को गति देने में जुट गई हैं। एजेंसियां आरोपितों की डिजिटल गतिविधियों, मोबाइल लोकेशन, बैंकिंग व्यवहार और सोशल मीडिया संवाद का विस्तृत विश्लेषण कर रही हैं। वहीं, पुलवामा और सिलीगुड़ी के संदिग्ध संपर्कों की पुष्टि होते ही उन क्षेत्रों में भी टीमें भेजी जा सकती हैं।

आगे और भी खुलासे संभव

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अभी यह केवल शुरुआत है और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे इस मतांतरण गिरोह के नेटवर्क का विस्तार और गहराई सामने आती जाएगी। फिलहाल, आगरा से आरोपितों को देहरादून लाकर पूछताछ की जाएगी, जिसके बाद नए चेहरों और विदेशी संपर्कों का भी पर्दाफाश हो सकता है।

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