
संसद परिसर में सोमवार को एक असामान्य और चौंकाने वाला दृश्य देखने को मिला जब एनडीए के सांसद समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद डिंपल यादव के समर्थन में खुलकर सामने आए और मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विरोध का कारण बना मौलाना रशीदी का वह विवादित बयान, जो डिंपल यादव के मस्जिद दौरे और पहनावे को लेकर दिया गया था।
संसद में ‘डिंपल के सम्मान’ में एनडीए सांसदों का हल्ला बोल
एनडीए के कई सांसदों ने सोमवार को संसद भवन परिसर में मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि यह सिर्फ डिंपल यादव नहीं, बल्कि एक महिला सांसद और पूरे लोकतांत्रिक सिस्टम का अपमान है। उन्होंने सवाल उठाया कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और पार्टी के अन्य नेता इस मामले में चुप क्यों हैं? मौलाना द्वारा महिला जनप्रतिनिधि के खिलाफ सार्वजनिक रूप से दी गई अभद्र टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई थी, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि एनडीए के सांसदों ने महिला सम्मान के पक्ष में मोर्चा संभाल लिया।
क्या कहा था मौलाना साजिद रशीदी ने?
दरअसल, एक टीवी डिबेट के दौरान मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव के एक मस्जिद दौरे को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा था, “आपने क्या देखा?” इसके बाद उन्होंने डिंपल के पहनावे को लेकर भी विवादित और अभद्र टिप्पणी कर दी थी। मौलाना का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और इसके बाद मामला गर्मा गया।
डिंपल यादव की प्रतिक्रिया
जब संसद भवन परिसर में डिंपल यादव से इस विषय पर मीडिया ने सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि,
“बेहतर होता अगर वे (एनडीए सांसद) मणिपुर की घटना पर विरोध करते, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। महिलाओं के साथ जो अमानवीय व्यवहार हुआ है, उस पर आवाज़ उठाना ज्यादा जरूरी था।”
उन्होंने आगे कहा,
“ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे सैन्य अधिकारियों पर जो बयान दिए गए, बेहतर होता अगर वे उनके समर्थन में खड़े होते।”
डिंपल यादव ने मौलाना की टिप्पणी को लेकर सीधा जवाब तो नहीं दिया, लेकिन भाजपा के विरोध प्रदर्शन को राजनीतिक दोहरेपन का उदाहरण करार दिया।
इकरा हसन ने दी तीखी प्रतिक्रिया
सपा की एक और महिला सांसद इकरा हसन ने इस विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“एक महिला जनप्रतिनिधि और लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत की सदस्य के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी बेहद शर्मनाक है।”
इकरा हसन ने स्पष्ट रूप से कहा कि मौलाना साजिद रशीदी जैसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए।
“इन्हें किसी भी महिला पर इस प्रकार की टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। ये न धर्मगुरु हैं, न किसी धर्म के ठेकेदार। ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”
लखनऊ में दर्ज हुआ केस
जहां संसद में मौलाना के खिलाफ विरोध हो रहा था, वहीं दूसरी ओर सपा नेता प्रवेश यादव ने लखनऊ के गोमती नगर थाने में मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। अब यह मामला केवल राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी कार्रवाई की दिशा में भी बढ़ रहा है।
मौलाना रशीदी अपने बयान पर कायम
संपूर्ण विरोध और आलोचना के बावजूद, मौलाना साजिद रशीदी ने अपने बयान को वापस लेने से इंकार कर दिया है और कहा कि वह अपनी बात पर अडिग हैं। इस अड़ियल रवैये ने विवाद को और अधिक गहरा कर दिया है।
निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम ने देश की राजनीति में महिला सम्मान बनाम राजनीतिक पक्षधरता की बहस को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर एनडीए सांसद महिला सम्मान के लिए मैदान में उतरे हैं, वहीं सपा की ओर से प्रतिक्रिया में मणिपुर जैसे गंभीर मुद्दे की याद दिलाई गई है। मौलाना साजिद रशीदी का बयान इस समय सियासी और सामाजिक बहस का केंद्र बना हुआ है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या कार्रवाई होती है।