
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रहे दिवंगत अरुण जेटली को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों पर अब जेटली परिवार की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है। अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने राहुल गांधी के दावों को पूरी तरह झूठा, भ्रामक और तथ्यहीन बताया है।
दरअसल, वार्षिक कानूनी सम्मेलन – 2025 के दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा था कि जब वह कृषि कानूनों के विरोध में संघर्ष कर रहे थे, तब उन्हें धमकाने के लिए भाजपा नेता अरुण जेटली को भेजा गया था। राहुल गांधी के मुताबिक, जेटली ने उन्हें कहा था – “अगर आप सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाते रहे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।” राहुल ने यह भी कहा कि उन्होंने उस वक्त जवाब दिया – “मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं।”
रोहन जेटली ने इन आरोपों को न केवल तथ्यों के खिलाफ बताया, बल्कि इसे दिवंगत नेता की छवि को धूमिल करने का प्रयास करार दिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा –
“राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि मेरे दिवंगत पिता अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था। मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का निधन 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून वर्ष 2020 में लाए गए थे। यह एक सीधा ऐतिहासिक तथ्य है, जिसे कोई भी इंटरनेट पर जाकर जांच सकता है।”
रोहन ने आगे लिखा – “इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पिता के स्वभाव में किसी को धमकाना कभी नहीं था। वह एक कट्टर लोकतांत्रिक व्यक्ति थे, जो विचारों की स्वतंत्रता और आम सहमति से निर्णय लेने में विश्वास रखते थे। राजनीति में जब कभी मतभेद होते भी थे, तब वह सभी पक्षों के साथ खुली चर्चा करके समाधान निकालने की कोशिश करते थे। वह हमेशा सम्मानजनक और गरिमा के साथ व्यवहार करते थे।”
उन्होंने राहुल गांधी से आग्रह करते हुए कहा – “मैं राहुल गांधी से अनुरोध करता हूं कि वे उन लोगों को लेकर बोलते वक्त अधिक सचेत रहें जो अब हमारे बीच नहीं हैं और स्वयं जवाब नहीं दे सकते। इससे पहले भी उन्होंने मनोहर पर्रिकर जी के अंतिम दिनों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की थी, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था।”
इस पूरे विवाद में रोहन जेटली ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक मतभेद होने के बावजूद दिवंगत नेताओं के सम्मान की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए।
राहुल गांधी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां कांग्रेस समर्थकों ने इसे एक ‘राजनीतिक अनुभव’ के तौर पर देखा है, वहीं भाजपा समर्थक और अन्य विश्लेषकों ने इसे ‘मृत नेताओं की गरिमा पर चोट’ के रूप में लिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयान राजनीतिक लाभ के लिए अतीत को तोड़-मरोड़कर पेश करने के प्रयास हैं, जिससे न सिर्फ दिवंगत नेताओं की छवि को ठेस पहुंचती है, बल्कि लोकतांत्रिक विमर्श का स्तर भी गिरता है।
रोहन जेटली का यह जवाब न केवल अपने पिता की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए सामने आया है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि राजनीति में निजी हमलों और बेबुनियाद बयानों के विरुद्ध प्रतिरोध भी जरूरी है।