
15 अगस्त 2025 को अलास्का का बर्फीला इलाका एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में आ गया है। यहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात हो रही है, जिसने दुनिया की नज़रें इस दूरस्थ और ठंडे इलाके पर टिका दी हैं। यह बैठक अलास्का के एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन सैन्य बेस पर आयोजित की जा रही है, जिसे “आइस फोर्ट्रेस” के नाम से जाना जाता है। यह वही बेस है जो शीत युद्ध के समय सोवियत संघ की गतिविधियों पर निगरानी रखने का अहम केंद्र हुआ करता था।
इस मुलाकात के लिए सुरक्षा इंतजाम अभूतपूर्व स्तर पर किए गए हैं। करीब 32,000 अमेरिकी सैनिक इस बेस को चारों ओर से सुरक्षित बनाए हुए हैं। सैटेलाइट निगरानी, साइबर सुरक्षा, और ज़मीन-आसमान से चौकसी की कई परतें यहां लागू हैं। अमेरिका ने बैठक के मद्देनज़र 300 किलोमीटर के दायरे में नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया है। सेना की स्पेशल फोर्सेज, नेशनल गार्ड, सीक्रेट सर्विस की काउंटर-असॉल्ट टीमें, और सैन्य पुलिस एक दोहरी सुरक्षा घेरा बनाए हुए हैं।
दूसरी तरफ, रूस ने भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए इस बेस से 88 किलोमीटर दूर आनादिर में फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं। ये तैनाती न केवल सैन्य दबदबा दिखाने के लिए है बल्कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए भी है।
ट्रंप का एयर फोर्स वन विमान लगातार सैन्य निगरानी में है, वहीं पुतिन के लिए उनकी बख्तरबंद लिमोज़िन ‘ऑरस सेनट’ पहले ही रूसी कार्गो विमान से अलास्का पहुंचा दी गई है। पुतिन की सुरक्षा टीम — फेडरल प्रोटेक्टिव सर्विस (FSO) — ने यहां हर छोटी से छोटी चीज़ पर नियंत्रण रखा है। यहां तक कि बैठक में इस्तेमाल होने वाले पानी की बोतलें और कप तक सील किए गए हैं, ताकि किसी भी तरह के खतरे से बचा जा सके।
बर्फीले मौसम की कठिनाइयों को देखते हुए अमेरिकी सेना ने हेलीकॉप्टर के बैकअप रूट और आइस रनवे तैयार रखे हैं। यहां मौजूद ग्रिजली भालुओं के खतरे को देखते हुए पैदल गश्ती दस्ते भी तैनात किए गए हैं, जो न केवल सुरक्षा बल्कि आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार हैं।
यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और रूस के बीच तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं, खासकर यूक्रेन युद्ध को लेकर। 2023 में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, लेकिन चूंकि अमेरिका और रूस, दोनों ही ICC के सदस्य नहीं हैं, इसलिए पुतिन को यहां किसी कानूनी कार्रवाई का खतरा नहीं है।
साइबर सुरक्षा को लेकर अमेरिका ने पूरा नेटवर्क इंटरनेट से काट दिया है और अपने KH-11 रिकॉन सैटेलाइट्स से हर पल निगरानी रख रहा है। रूस ने भी जवाबी कदम उठाते हुए सीमा के नजदीक अपने विमानों और निगरानी प्रणालियों को सक्रिय कर दिया है।
यह पहला मौका नहीं है जब एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन बेस अंतरराष्ट्रीय सियासत का गवाह बन रहा हो। 1971 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और जापान के सम्राट हिरोहितो की ऐतिहासिक मुलाकात यहीं हुई थी, जो जापान के किसी सम्राट की पहली विदेशी यात्रा थी। आज, 54 साल बाद, यह बेस फिर से इतिहास रचने के लिए तैयार है — इस बार ट्रंप और पुतिन के बीच की उच्च-स्तरीय वार्ता के रूप में, जिसका असर आने वाले वर्षों में वैश्विक शक्ति संतुलन पर पड़ सकता है।