पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत बोले – पाखरो सफारी केस में CBI ने दी क्लीन चिट

उत्तराखंड की सियासत में सुर्खियों में रहने वाले प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो सफारी मामले में सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर आरोपपत्र में उनका नाम शामिल नहीं है।

लंबे समय तक चली जांच

कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी प्रोजेक्ट को लेकर सीबीआई और ईडी ने लंबे समय तक जांच की। इस दौरान कई तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर डॉ. रावत से पूछताछ भी की गई। हालांकि, पूर्व मंत्री का कहना है कि जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ किसी तरह का दोष सिद्ध नहीं किया और अब मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

“पेड़ काटना मंत्री का काम नहीं”

डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि पेड़ों की छपाई या कटाई मंत्री का सीधा काम नहीं होता। इसके लिए टेंडर जारी करने से पहले प्रशासनिक और वित्तीय विभाग की मंजूरी आवश्यक होती है और फाइल मंत्री के पास सिर्फ अंतिम स्वीकृति के लिए आती है। उन्होंने दावा किया कि मंत्री केवल विभागीय अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेते हैं, जबकि टेंडर प्रक्रिया में उनकी प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती। यदि कोई गड़बड़ी होती है तो मंत्री उसके लिए जांच बैठा सकता है।

“पाखरो सफारी मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था”

पूर्व वन मंत्री ने कहा कि पाखरो टाइगर सफारी उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसके लिए वह कई बार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिले और इसकी मंजूरी दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके अनुसार, यदि यह प्रोजेक्ट बन जाता तो कोटद्वार से लेकर दिल्ली और जौलीग्रांट तक होटल उद्योग को बढ़ावा मिलता, पर्यटन को नई उड़ान मिलती और हजारों लोगों को रोजगार मिलता

प्रोजेक्ट से टाइगर और इंसानों को लाभ

डॉ. रावत ने दावा किया कि इस प्रोजेक्ट से न केवल स्थानीय लोगों को लाभ मिलता बल्कि घायल और वृद्ध बाघों की उम्र भी पाँच से सात साल बढ़ जाती। जंगल में शिकार करने में असमर्थ टाइगर अक्सर इंसानी बस्तियों की ओर रुख कर महिलाओं और बच्चों पर हमला करने लगते हैं। यदि ऐसे बाघों को बाड़े में रखा जाता और उन्हें भोजन मिलता तो इंसानों की सुरक्षा भी होती और बाघों की आयु भी बढ़ जाती।

वन विभाग अधिकारियों पर साजिश का आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग के कुछ बड़े अधिकारी, जिन्हें उनके कार्यकाल के दौरान पदों से हटाया गया था, ने उनके खिलाफ साजिश रची। रावत का कहना है कि रामनगर की होटल लॉबी और दिल्ली के कुछ एनजीओ को साथ मिलाकर इस पूरे प्रकरण को उछाला गया।

यह है पूरा मामला

पाखरो रेंज की लगभग 106 हेक्टेयर वन भूमि पर टाइगर सफारी प्रोजेक्ट केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद शुरू किया गया था। उस समय उत्तराखंड सरकार ने दावा किया था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन आरोप है कि वास्तव में 6,903 पेड़ काट दिए गए। यही वजह रही कि प्रोजेक्ट विवादों में आ गया और मामला सीबीआई तक पहुंचा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471