FTA के जरिए अमेरिका से तनाव के बीच भारत को नया बड़ा बाजार, जानें यूरेशियाई संगठन के बारे में

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते को लेकर बातचीत लंबे समय से अटक रही है। अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय की ओर से विभिन्न उत्पादों के लेन-देन पर चर्चा के लिए भेजे जाने वाले दलों में देरी ने वार्ता को प्रभावित किया है। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त टैरिफ भी लगा दिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में अस्थायी तनाव पैदा हुआ है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में भारत-अमेरिका के बीच कारोबार प्रभावित हो सकता है।

हालांकि, भारत ने अमेरिका के साथ तनाव के बीच अपने व्यापार और निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए कदम उठाना शुरू किया है। ब्रिटेन के साथ हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बाद भारत ने अब यूरेशियाई आर्थिक संगठन (EAEU) के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू कर दी है। दोनों पक्षों ने बुधवार को इस संबंध में चर्चा की और एफटीए के तहत प्रमुख बिंदुओं को तय किया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि बातचीत सफल रहती है, तो आने वाले कुछ वर्षों में भारत इस संगठन के माध्यम से नए बाजारों में प्रवेश कर सकता है।

यूरेशियाई आर्थिक संगठन (EAEU) क्या है?
यूरेशियाई आर्थिक संगठन 2014 में कजाखस्तान में हुई एक संधि के जरिए अस्तित्व में आया। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच उत्पाद, सेवा, पूंजी और श्रम के स्वतंत्र और मुक्त लेन-देन को सुनिश्चित करना है। संगठन के स्थायी सदस्य रूस, अर्मेनिया, बेलारूस, कजाखस्तान और किर्गिस्तान हैं, जबकि क्यूबा, मॉलदोवा और उज्बेकिस्तान पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं। यूरेशियाई संगठन की स्थापना 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए हुई थी।

इस संगठन का प्रमुख मकसद सदस्य देशों के बीच नीतियों का सामंजस्य स्थापित करना और व्यापारिक बाधाओं को दूर करना है। रूस ने संगठन के गठन के समय यूक्रेन को भी शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन राजनीतिक कारणों और विरोधों के चलते यह संभव नहीं हो पाया। किर्गिस्तान अगस्त 2015 में इस संगठन में शामिल हुआ।

भारत के लिए EAEU क्यों अहम है?
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और EAEU के बीच 2024 में करीब 69 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जो 2023 की तुलना में सात फीसदी अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत को रूस और अन्य सात देशों में नए बाजार खोलने का अवसर देगा। भारत और EAEU 2017 से एफटीए पर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन कोरोनावायरस महामारी और यूक्रेन संघर्ष के कारण वार्ता रुकी हुई थी। जुलाई 2024 में मॉस्को में भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों ने वार्ता पुनः शुरू करने पर सहमति जताई।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, “6.5 ट्रिलियन डॉलर की सम्मिलित GDP वाले EAEU के साथ मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय निर्यातकों को नए बाजारों तक पहुंच मिलेगी। यह छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए भी लाभकारी साबित होगा और भारत को वैश्विक व्यापार प्रतियोगिता में मजबूत बनाएगा।”

भारत किन-किन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के करीब है?

  1. यूरोपीय संघ (EU): भारत और EU के बीच एफटीए पर 2014 में पहली बातचीत हुई थी, लेकिन इसे लंबे समय तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। जून 2022 में बातचीत फिर शुरू हुई और इस साल के अंत तक समझौते पर सहमति होने की संभावना है।
  2. ओमान: भारत-ओमान एफटीए पर बातचीत 2023 में शुरू हुई और अगस्त 2025 तक इस पर सहमति बन गई। औपचारिक घोषणा 2–3 महीनों में हो सकती है।
  3. न्यूजीलैंड: जुलाई 2025 में दूसरे चरण की वार्ता दिल्ली में हुई, तीसरे चरण की वार्ता सितंबर में ऑकलैंड में होने की संभावना है।
  4. चिली: भारत और चिली के बीच 2006 से तरजीही व्यापार समझौता है, अब इसे व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) में बदलने पर चर्चा है।
  5. इसके अलावा भारत ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पेरू और अन्य देशों के साथ मुक्त या व्यापक व्यापार समझौते की तैयारी कर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका से व्यापारिक तनाव और टैरिफ विवाद के बीच भारत के लिए EAEU जैसे नए बाजारों की ओर रुख करना रणनीतिक दृष्टिकोण है। इससे न केवल निर्यातकों को लाभ मिलेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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