उत्तराखंड में मानसून एक बार फिर कहर बरपा रहा है और बादल फटने की घटनाओं ने राज्य को दहशत में डाल दिया है। रुद्रप्रयाग, चमोली और टिहरी जिलों में शुक्रवार को हुए बादल फटने ने कई गांवों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पहाड़ी जिलों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बीच अचानक हुए इन हादसों ने लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में स्थिति सबसे अधिक भयावह है, जहां मोपाटा क्षेत्र में बादल फटने से कई घर मलबे में दब गए। यहां दो शव बरामद किए गए हैं और कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर मौजूद हैं और जेसीबी मशीनों के जरिए मलबा हटाकर फंसे लोगों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि घटना इतनी अचानक हुई कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। खेत-खलिहान, पशु और घर देखते ही देखते मलबे में समा गए। कई परिवारों की जिंदगी भर की कमाई कुछ ही पलों में बर्बाद हो गई।
देवाल ब्लॉक के तारा सिंह और उनकी पत्नी का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। वहीं, विक्रम सिंह और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने खुद स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में टीमों को भेजा गया है और प्राथमिकता के आधार पर लापता लोगों की खोजबीन की जा रही है। इस बीच, चमोली जिले की नदियां – अलकनंदा और पिंडर – खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। नाले और गाड़ उफान पर हैं जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है।
टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के गेंवाली गांव में भी बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। हालांकि यहां से जनहानि की कोई सूचना नहीं मिली, लेकिन गांव में मलबे और पानी के तेज बहाव से कृषि भूमि बर्बाद हो गई है। पेयजल योजनाएं और विद्युत लाइनें ध्वस्त हो गईं। कई रास्ते टूट गए और लोगों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। गांव के लोग प्रशासन से तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। राजस्व विभाग और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंचकर नुकसान का आकलन कर रही हैं।
रुद्रप्रयाग जिले में भी हालात बेहद चिंताजनक हैं। जखोली ब्लॉक के छेनागाड़ और बांगर क्षेत्र में बादल फटने से कई घरों में मलबा घुस गया और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने पर मजबूर हो गए। देर रात से हो रही लगातार बारिश ने लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। कर्णप्रयाग क्षेत्र के कालेश्वर और सुभाषनगर इलाकों में पहाड़ से मलबा और बोल्डर गिरने से घरों को नुकसान पहुंचा है। कई मकानों की दीवारें टूट गई हैं और अंदर गाद भर गई है। मौके पर जेसीबी मशीनों के जरिए मलबा हटाने का कार्य चल रहा है, लेकिन भारी बारिश के चलते राहत कार्य बाधित हो रहा है।
प्रशासन ने सुरक्षा को देखते हुए चमोली जिले के सभी ब्लॉकों में स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे नदी-नालों और पहाड़ी ढलानों के पास न जाएं। आपदा की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने कहा है कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को भी तैयार रखा गया है। इस बीच, स्थानीय लोग भय और चिंता के माहौल में जी रहे हैं। बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तराखंड की जीवनशैली को गहरे संकट में डाल दिया है।
इस बार की तबाही ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर देवभूमि कब तक इन आपदाओं का सामना करती रहेगी। लोग अपने टूटे घरों, बह गए खेतों और बर्बाद सपनों को देखकर मायूस हैं। उत्तराखंड की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति और लगातार बदलते मौसम पैटर्न ने यहां के जनजीवन को हमेशा के लिए असुरक्षा की भावना से भर दिया है। पहाड़ों में रहने वाले लोग रोज यह डर लेकर जीते हैं कि अगला खतरा कब और कहां से आएगा। बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से राज्य की नाजुक संरचना बार-बार हिल जाती है। इस बार की आपदा ने न केवल जनहानि और संपत्ति का नुकसान पहुंचाया है, बल्कि लोगों के मनोबल को भी गहरी चोट दी है।