346 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में ED ने मारा छापा, दिल्ली-NCR, तमिलनाडु और कर्नाटक में की दबिश

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को दिल्ली-एनसीआर, तमिलनाडु और कर्नाटक में छापेमारी की कार्रवाई की। यह कार्रवाई हरियाणा स्थित एक विद्युत क्षेत्र की कंपनी और उसके प्रवर्तकों पर कथित तौर पर 346 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी जांच के तहत की गई। जांच गुरुग्राम स्थित हाइथ्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), उसके निदेशकों अमूल गबरानी और अजय कुमार बिश्नोई समेत कुछ अन्य व्यक्तियों के खिलाफ चल रही है। इस कंपनी का परिसमापन (liquidation) प्रक्रिया के तहत चल रहा है।

इस मामले का संबंध फरवरी 2025 में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी से है। प्रवर्तकों पर आरोप है कि उन्होंने बैंक ऋण राशि को अपनी कुछ संबद्ध संस्थाओं को हस्तांतरित किया, जिससे बैंकों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। ईडी के गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने इस जांच के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पांच परिसरों, चेन्नई में तीन और बंगलूरू में एक परिसर की तलाशी ली।

शिकायतकर्ता बैंकों के अनुसार कथित धोखाधड़ी की राशि कुल 346.08 करोड़ रुपये है। इसमें पंजाब नेशनल बैंक (PNB) 168.07 करोड़ रुपये, ICICI बैंक 77.81 करोड़ रुपये, कोटक महिंद्रा बैंक 44.49 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक 55.71 करोड़ रुपये शामिल हैं। यह धोखाधड़ी 2009 से 2015 के बीच हुई बताई जा रही है।

क्या है आरोप?
एचपीसीएल विद्युत पारेषण और वितरण क्षेत्र में सक्रिय थी और टर्नकी परियोजनाओं के डिजाइन, निर्माण और संचालन में लगी हुई थी। आरोप है कि कंपनी के प्रवर्तकों और निदेशकों ने बहु-बैंकिंग व्यवस्था के तहत कंसोर्टियम के प्रमुख बैंक PNB से कुल 165.71 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं प्राप्त कीं। इसके बावजूद, वित्तपोषित ब्याज सावधि ऋण (FITL) में कई पुनर्गठनों के बाद भी एचपीसीएल ने डिफॉल्ट किया। 31 मार्च, 2015 को इसे Non-Performing Asset (NPA) घोषित किया गया और 13 जून, 2024 को इसे आरबीआई ने धोखाधड़ी के रूप में नामित किया।

ईडी का कहना है कि प्रवर्तकों और निदेशकों के द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं और बहु-बैंकिंग का दुरुपयोग स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के तत्वों को दर्शाता है। तलाशी और दस्तावेजों के निरीक्षण के बाद जांच को और गहन किया जाएगा। यह कार्रवाई दिल्ली-NCR, तमिलनाडु और कर्नाटक में बैंक धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों के खिलाफ ED की सतत निगरानी और कड़ी कार्रवाई का हिस्सा है।

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