“नरेंद्रनगर के बगड़धार में भूस्खलन से ऋषिकेश-गंगोत्री मार्ग बाधित, यमुनोत्री हाईवे पहले से 20 दिन से बंद”

देहरादून/टिहरी: उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश एक बार फिर आमजन की मुश्किलें बढ़ा रही है। ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर नरेंद्रनगर के बगड़धार के पास बीती रात करीब नौ बजे भारी भूस्खलन हुआ, जिससे हाईवे पर यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। देर शाम हुई बारिश के दौरान पहाड़ी से बड़े पैमाने पर मलबा और बोल्डर सड़क पर आ गिरे। इसके कारण दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और यात्रियों को रातभर परेशानियों का सामना करना पड़ा।

इधर, बड़कोट क्षेत्र में यमुनोत्री हाईवे की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। बनास-नारद चट्टी के पास 20वें दिन भी मार्ग अवरुद्ध है। वहीं फूलचट्टी के पास जानकीचट्टी को जोड़ने वाली ध्वस्त सड़क की हालत इतनी खराब है कि वहां वाहन चलाना तो दूर, पैदल गुजरना भी जोखिम भरा साबित हो रहा है। इन हालातों ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन ने 13 सितंबर से यमुनोत्री धाम की यात्रा शुरू करवाने का दावा किया था, लेकिन हाईवे की मौजूदा स्थिति उस पर सवाल खड़े कर रही है। इस दौरान यात्री और तीर्थयात्री लगातार असमंजस की स्थिति में बने हुए हैं।

बृहस्पतिवार को पूरे उत्तराखंड में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कुल 177 सड़कें बंद रही। टिहरी जिले में 23, चमोली में 32, रुद्रप्रयाग में 25, पौड़ी में 12 और उत्तरकाशी में 21 सड़कें अवरुद्ध रहीं। वहीं, देहरादून में 16, हरिद्वार में एक, पिथौरागढ़ में 18, अल्मोड़ा में 16, बागेश्वर में छह और नैनीताल में सात सड़कें बाधित हुईं। हालांकि चंपावत और ऊधमसिंह नगर में सभी सड़कें सुचारु रहीं। इन बंद मार्गों के चलते हजारों लोग फंसे रहे और ग्रामीण इलाकों में आवागमन पूरी तरह ठप हो गया।

मौसम विभाग ने भी राज्यवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। अन्य जिलों में भी बिजली चमकने और गरज-चमक के साथ तेज दौर की बारिश की संभावना जताई गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और मौसम के असामान्य पैटर्न के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे भूस्खलन और सड़क अवरोध की घटनाएं बढ़ रही हैं।

हालांकि मैदानी इलाकों में मानसून की रफ्तार कुछ धीमी हुई है, लेकिन पर्वतीय जिलों में अब भी खतरा बना हुआ है। आने वाले दिनों में, विशेष रूप से 17 सितंबर तक, पूरे प्रदेश में कहीं हल्की तो कहीं तेज दौर की बारिश होने की संभावना है।

इन परिस्थितियों ने न केवल यात्रियों को संकट में डाल दिया है बल्कि राज्य की चारधाम यात्रा और पर्यटन गतिविधियों पर भी प्रतिकूल असर डाला है। प्रशासन अब युद्धस्तर पर मार्ग खोलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन लगातार हो रही बारिश से राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।

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