
⚡️ऑपरेशन रिस्पना: देहरादून की नदी को किसने मारा?⚡️
एक्सक्लूसिव इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट
देहरादून। यह खुलासा राजधानी दून की आंखें खोलने वाला है। कभी शहर की धड़कन कही जाने वाली रिस्पना नदी अब बस नाम भर रह गई है। वजह – अतिक्रमण, जंगलों का सफाया और वोटबैंक की राजनीति।
📌 सैटेलाइट तस्वीरों ने खोला राज
वरिष्ठ भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने 2003 और 2018 की सैटेलाइट इमेज का अध्ययन किया। नतीजा हैरान करने वाला था।
- 2003 में नदी के दोनों किनारे खाली और हरे-भरे थे।
- 2018 आते-आते उसी जगह पर घनी बस्तियां और पक्के मकान खड़े हो गए।
- नदी का असली बहाव लगभग गायब हो चुका है।
- जंगलनुमा क्षेत्र का 95% हिस्सा मिटा दिया गया।
📌 2100 तस्वीरें – लेकिन कार्रवाई शून्य
हाईकोर्ट के आदेश के बाद यूसैक ने इसरो और अमेरिकी कंपनी मैक्सर से शहर के 2100 सैटेलाइट चित्र मंगवाए थे। ये हर छह महीने में अतिक्रमण का सच बयां कर सकते थे। लेकिन हकीकत ये है कि ये तस्वीरें आज भी फाइलों में कैद हैं और सरकारी मशीनरी ने कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया।
📌 सर्वे रोका, टीम को रोका
जब यूसैक की टीम ने जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की, उन्हें मलिन बस्तियों में घुसने तक नहीं दिया गया। विरोध इतना बढ़ा कि सर्वे को बीच में ही रोकना पड़ा। नेताओं और विधायकों ने वोटबैंक की खातिर खामोशी ओढ़ ली।

📌 नतीजा: आपदा का न्योता
सहस्त्रधारा क्षेत्र में हाल ही में हुई अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाओं ने दिखा दिया कि नदियों का रास्ता रोकने का नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं – अगर रिस्पना और बिंदाल जैसी नदियों पर अतिक्रमण नहीं रुका तो देहरादून भविष्य में और भी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में होगा।
👉 सवाल साफ है –
- क्यों दबाई गईं 2100 तस्वीरें?
- क्यों रोका गया सर्वे?
- किसके इशारे पर रिस्पना का गला घोंटा गया?
🛑 ऑपरेशन रिस्पना सिर्फ एक नदी की कहानी नहीं, बल्कि देहरादून की बर्बादी की चेतावनी है।
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