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हरिद्वार में आठ साल बाद फिर भड़की गैंगवार, विनय त्यागी पर जानलेवा हमला - The Indian Exposure

हरिद्वार में आठ साल बाद फिर भड़की गैंगवार, विनय त्यागी पर जानलेवा हमला

करीब आठ वर्षों की शांति के बाद बुधवार को लक्सर में एक बार फिर गोलियों की आवाज़ गूंजी, जिसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी विनय त्यागी पर गैंगवार के तहत दिनदहाड़े हमला किया गया। फ्लाईओवर पर उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब पेशी के लिए पुलिस वाहन में ले जाए जा रहे विनय त्यागी को निशाना बनाकर शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

इस वारदात ने हरिद्वार जिले के उस स्याह अतीत को फिर से याद दिला दिया, जब गैंगवार की घटनाओं में कई जानें गई थीं। घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि संगठित अपराध भले ही लंबे समय तक शांत दिखाई दे, लेकिन उसकी जड़ें पूरी तरह समाप्त नहीं होतीं। मौका मिलते ही अपराधी नेटवर्क दोबारा सक्रिय हो जाता है।

क्राइम एक्सपर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2017 में हुई एक बड़ी वारदात ने जिले में गैंगवार के खतरनाक स्वरूप को उजागर किया था। 20 नवंबर 2017 को रुड़की अदालत परिसर के भीतर कुख्यात गैंगस्टर सुनील राठी के शॉर्प शूटर देवपाल राणा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राणा अदालत में अपनी पेशी का इंतजार कर रहा था, तभी तीन हमलावरों ने उसे निशाना बनाया। इस फायरिंग में सहारनपुर के एक अधिवक्ता और भाजपा नेता भी घायल हुए थे। घटना के बाद हमलावरों को मौके पर मौजूद लोगों ने पकड़ लिया था और उनकी जमकर पिटाई की गई थी।

इससे पहले, 5 अगस्त 2014 को रुड़की जेल से रिहा होते समय कुख्यात चीनू पंडित पर जेल गेट पर ही अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। हालांकि चीनू पंडित इस हमले में बच गया था, लेकिन उसके तीन साथियों की मौत हो गई थी, जबकि उसके बड़े भाई सहित छह अन्य लोग घायल हुए थे। जांच में सामने आया था कि यह हमला आपसी रंजिश के चलते सुनील राठी गैंग द्वारा कराया गया था।

जिले में गैंगवार का इतिहास यहीं खत्म नहीं होता। 12 सितंबर 2011 को रुड़की जेल के तत्कालीन डिप्टी जेलर नरेंद्र खंपा की भी गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। बाद में जांच में यह सामने आया कि इस वारदात को भी सुनील राठी ने अपने गुर्गों के जरिए अंजाम दिलवाया था।

विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही बीते कुछ वर्षों में जिले में गैंगवार की घटनाएं कम रही हों, लेकिन अपराध का नेटवर्क कभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। पुराने गैंगस्टरों के शागिर्द, रिश्तेदार और सहयोगी अब नए नामों और नए तरीकों से मैदान में उतर रहे हैं। जमीन, वसूली, वर्चस्व और बदले की वही पुरानी लड़ाई आज भी जारी है, केवल चेहरे बदल गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, ताजा फायरिंग की घटना भी पुराने विवादों और आपसी दुश्मनी से जुड़ी मानी जा रही है।

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