
शहर में चौकी-थाने से लेकर आईएएस अफसर, एसएसपी और मुख्यमंत्री तक पर हमले हुए। पंजाब के सीएम बेअंत सिंह समेत दर्जनों लोग शहीद हो गए लेकिन चंडीगढ़ पुलिस इन वारदातों में शामिल 17 आतंकियों का अब तक सुराग नहीं लगा सकी है। चंडीगढ़ पुलिस के पास कर्मचारियों की पूरी फौज है लेकिन ये सभी नाकों पर चालान काटने तक ही सीमित रह गए हैं।
31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के पास हुए बम ब्लास्ट में पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस ब्लास्ट में 17 अन्य लोगों की भी जान गई थी। मामले में जम्मू स्थित कटरा के तलवारा कॉलोनी निवासी आतंकी जगरूप सिंह उर्फ निहंग और अंबाला के थाना नग्गल के अंतर्गत रहने वाले पुरुषोत्तम को पुलिस ने दो मार्च 1996 को भगोड़ा घोषित किया था। इस मामले में पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा।
अगस्त 1991 में चंडीगढ़ के तत्कालीन एसएसपी सुमेध सिंह सैनी और उनकी टीम पर हुए आतंकी हमले में चार पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। सैनी भी घायल हुए थे। मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने 25 मई 1993 को सेक्टर-37 डी निवासी मनमोहन सिंह उर्फ मिंटा को भगोड़ा घोषित किया था जबकि कपूरथला निवासी डॉ. मंजीत सिंह और मोहाली फेज-7 निवासी बलवंत सिंह को 07 अगस्त 1993 को पीओ घोषित किया था। यहां भी पुलिस विफल रही। बार-बार होने वाली वारदातों को देखते हुए पुलिस ने वर्ष 1999 में आतंकियों पर शिकंजा कसने के लिए ऑपरेशन सेल का गठन किया था लेकिन पुलिस अधिकारी यहां आते रहे और जाते रहे लेकिन आतंकियों पर शिकंजा नहीं कस सके।
जेल ब्रेक केस में भी नहीं पकड़ा गया एक आतंकी
साल 2004 में बुड़ैल जेल के अंदर सुरंग बनाकर आतंकी जगतार सिंह तारा, जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्यौरा फरार हो गए थे। इनके साथ जेल में सजा काट रहा दोषी उत्तरांचल के पौड़ी गढ़वाल के चमोली के गांव समैया निवासी देव सिंह रावत उर्फ देवी भी फरार हो गया था। तीनों आतंकियों को तो पकड़ लिया गया लेकिन देवी का आज तक कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस ने उसे 29 जुलाई 2004 को भगोड़ा आतंकी घोषित किया था। जेल ब्रेक के मामले में पुलिस ने 20 मार्च 2006 को हरियाणा के बरनाला निवासी गुरविंदर सिंह उर्फ गोल्डी को पीओ घोषित किया था। चंडीगढ़ पुलिस ने आखिरी बार 7 नवंबर 2014 को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर एक आतंकवादी को गिरफ्तार किया था। आतंकी का नाम रतनदीप था, जिसे वर्ष 1999 में सेक्टर-34 में हुए बम कांड में गिरफ्तार किया गया था। इस बम विस्फोट में तीन व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
भगोड़ों में ये आतंकी भी शामिल
मलोया पुलिस चौकी पर हमले में यूटी पुलिस ने 9 फरवरी 1993 में रोपड़ के गांव पंजौला निवासी जगतार सिंह उर्फ तारा को भगोड़ा घोषित किया था। रोज गार्डन में पंजाब पुलिस पर हमला करने के मामले में 27 अप्रैल 1993 को जालंधर के थाना नूर महल के अंतर्गत आने वाले गांव बिल्गो निवासी गुरचरण सिंह को भगोड़ा घोषित किया था। शहर के पूर्व एरिया की बिल्डिंग पर बम ब्लास्ट के मामले में 16 जनवरी 1991 को गुरदासपुर के गांव सोलापुर निवासी दौलत सिंह उर्फ बिट्टा को भगोड़ा घोषित किया था। सेक्टर-44 में पंजाब पुलिस के निरीक्षक कुलदीप सिंह की हत्या मामले में 17 नवंबर 1987 को कपूरथला के गांव सफाबाद निवासी बहादुर सिंह को भगोड़ा घोषित किया था।
चंडीगढ़ पुलिस के सब इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह की हत्या मामले में 12 मार्च 1993 को पटियाला के राजपुरा के गांव मडौली निवासी जोरा सिंह को पीओ घोषित किया। चंडीगढ़ के पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले के मामले में 10 दिसंबर 1994 में संगरूर के गांव डुलमा निवासी प्रित्म सिंह भगोड़ा घोषित किया।
हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में पंजाब के आईएएस निरंजन सिंह पर हमले के मामले में कपूरथला के संडो चट्ठा निवासी वधावा सिंह को पीओ घोषित किया गया था। मनीमाजरा थाने पर हमले के मामले में 9 फरवरी 1993 में पंजाब के गांव धनौरी निवासी दिलबाग सिंह को पीओ घोषित किया। चंडीगढ़ पुलिस के सिपाही पर हमले के मामले में 15 जनवरी 1993 को गुरदासपुर निवासी सिपाही सुखदेव सिंह को पीओ घोषित किया। 1999 में सेक्टर-34 स्थित पुराने पासपोर्ट दफ्तर के पास पार्किंग में बम ब्लास्ट के मामले में अमृतसर के गांव पंजवार निवासी परमजीत सिंह उर्फ पंजवार को पीओ घोषित किया।