विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस:बदली दिनचर्या ओर खानपान के कारण बुजुर्ग ही नहीं युवा भी ब्रेन ट्यूमर का शिकार हो रहे हैं, 20 से 30 नए मरीज हर महीने आते हैं

बदली दिनचर्या ओर खानपान के कारण बुजुर्ग ही नहीं युवा भी ब्रेन ट्यूमर का शिकार हो रहे हैं। प्राइवेट ट्रॉमा सेंटरर्स में न्यूरो सर्जन की ओपीडी में 20 से 30 नए मरीज हर महीने आते हैं। वहीं, सात से 10 मरीजों के हर माह ऑपरेशन हो रहे हैं। चिकित्सकों की मानें, जागरूकता से इस रोग से बचा सकता है। लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल आठ जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। 

वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. निमित गुप्ता ने बताते हैं कि वैसे ब्रेन ट्यूमर होने का कारण कई हो सकते हैं। मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने पर जो गांठ बन जाती है उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। यह कई बार कैंसर की गांठ में तब्दील हो जाता है, ऐसे में ब्रेन ट्यूमर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसे में अगर आपको कोई भी लक्षण दिखें तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। 

उन्होंने बताया कि इसका इलाज ट्यूमर के प्रकार, स्थिति, आकार, कितना फैला हुआ है, कोशिकाएं कितनी असामान्य है आदि देखकर किया जाता है। इसका उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के माध्यम से होता है। सर्जरी के माध्यम से डॉक्टर पूरे ट्यूमर को या उसके कुछ भाग को निकाल देते हैं। ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी में कई जोखिम होते हैं जैसे संक्रमण और ब्लीडिंग भी अधिक हो सकती है। न्यूरो सर्जन की मानें तो शुरुआत में ही ऑपरेशन कर दिया जाए तो मरीज ठीक हो जाता है। कई ऐसे मरीज हैं, जिनका ब्रेन ट्यूमर होने पर ऑपरेशन 10 साल पहले हुआ था, वो अब पूरी तरह ठीक हैं।

मेडिकल कॉलेज में नहीं हैं कोई न्यूरो सर्जन

सरकारी मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जन नहीं है। उपचार के लिए मरीजों को मेडिकल कॉलेज से आगरा मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है। दुर्घटना में घायल लोगों को सबसे ज्यादा न्यूरो सर्जन की आवश्यकता होती है। हर माह ऐसे 50 मरीजों को आगरा रेफर 
किया जाता है। सीएमएस डॉ. श्याम मोहन गुप्ता ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जन की अभी तैनाती नहीं है। मरीज को यदि न्यूरो सर्जरी की आवश्यकता होती है तो उसे आगरा में उपचार कराया जाता है। 

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

  •  सुबह उठते ही तेज सिरदर्द
  •  अचानक से बेहोशी आना
  •  आंखों से धुंधला दिखाई देना।
  •  बोलने में परेशानी होना
  •  अधिक थकान होना
  •  याददाश्त कमजोर होना
  • चलते-चलते अचानक लड़खड़ाना
  • शरीर में अचानक किसी भी तरह की संवेदना महसूस न होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होना

10 साल पहले हुआ ऑपरेशन

नगला बरी निवासी 50 वर्षीय नगीना ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर का 10 साल पूर्व ऑपरेशन हुआ था। उस समय बेहोशी की अवस्था और शरीर के एक हिस्से में दिक्कत होती थी। ऑपरेशन होने के बाद पूरी तरह ठीक हो गई। वर्तमान में पूरी तरह स्वस्थ हूं। इलाज को सही समय कराया जाए तो विजय हासिल की जा सकती है।

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