गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी सामग्री रोकने के उपाय करने होंगे अन्यथा यूरोपीय यूनियन (ईयू) उन पर भारी-भरकम जुर्माना लगाएगा

गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी सामग्री रोकने के उपाय करने होंगे अन्यथा यूरोपीय यूनियन (ईयू) उन पर भारी-भरकम जुर्माना लगाएगा। इन कंपनियों को डीपफेक, यानी ऐसे वीडियो जिसमें आवाज किसी की और चेहरा किसी और का होता है, से निपटने के लिए भी कदम उठाने होंगे।

ईयू ने इन इंटरनेट और सोशल मीडिया कंपनियों पर फर्जी सामग्री को नियंत्रित करने के लिए अपनी संहिता (कोड) को अपग्रेड किया है और इसके तहत भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नई संहिता को बृहस्पतिवार को सार्वजनिक किया जाएगा।

इंटरनेट पर ऐसी सामग्री रोकने के लिए 2018 में यह संहिता अस्तित्व में आई थी और अब ये सह नियामक योजना का अंग हैं जिसके तहत जिम्मेदारियों को नियामकों और संहिता पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के बीच बांटा गया है।

मामले से जुड़े लोगों के अनुसार नई संहिता आभासी दुनिया में फेक अकाउंट और डीपफेक सामग्री जैसी घटनाओं पर ज्यादा व्यापक तरीके से बात करती है। डीपफेक कंप्यूटर तकनीक के जरिये किया जाने वाला ऐसा फर्जीवाड़ा है जो वास्तविकता के बेहद करीब लगता है।अधिकांश मामलों में इसका इस्तेमाल राजनीतिक संदर्भ में किया जाता है।

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